पितृ दोष क्यों होता है? पितृदोष कब होता है?
पितृ दोष क्यों होता है (Pitra Dosh Kyon Hota Hai): पितृदोष आखिर क्यों होता है? ऐसा विचार आपके मन में भी उठता होगा। शास्त्रों की मानें तो यह सब हमारी ही कुछ जाने-अनजाने गलतियों के कारण उत्पन्न होते हैं। जिन्हें पितृदोष के नाम से जानते हैं। इसके निवारण हेतु शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं। जिनमें से श्राद्ध कर्म की महत्ता सबसे ज्यादा है। कहा भी गया है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक श्राद्ध कर्म को संपन्न करता है, उसके सौभाग्य में दिन-ब-दिन वृद्धि होती रहती है।
पितृ दोष क्यों होता है (Pitra Dosh Kyon Hota Hai)?
पितृदोष कब होता है, इसके पक्ष में कई बातें कही गई हैं। जिनमें से कुछ कारण यहां दिए जा रहे हैं –
- पितरों का श्राद्ध व तर्पण न करके, उनका अपमान करने पर भी पितृदोष होता है।
- नाग, गौ-हत्या करना या करवाना भी पितृदोष का कारण होता है।
- पवित्र नदी, कूप जल में मल-मूत्र का विसर्जन आदि भी इस दोष को जन्म देते हैं।
- किसी देवस्थान या तीर्थ स्थल में अपकर्म करने से भी इस दोष का भागी बनना पड़ता है।
- अमावस्या तिथि को संभोग करने या गुरु स्त्री या गुरु पुत्री से संभोग करने पर भी पितृदोष उत्पन्न होता है।
- परिवार की स्त्रियों का चरित्र भ्रष्ट होने अर्थात बदचलन होने से भी पितृदोष उत्पन्न होता है।
- भ्रूण हत्या या असमय गर्भपात करवाने से भी पितृदोष का कारण बनता है।
यह भी पढ़े – पितृ दोष निवारण के सरल उपाय, पितृ दोष हो तो ब्राह्मणों को भोजन कराएं
अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।