घोड़े की नाल कैसे लगाएं, घोड़े की नाल करवा सकती है सौभाग्य प्राप्ति
घोड़े की नाल कैसे लगाएं (Ghode Ki Naal Kaise Lagaye): अकसर घोड़े की नाल, लगाने के तरीकों को लेकर विद्वानों में मतभेद पाया जाता है। कोई कहता है कि नाल के दोनों सिरे ऊपर की ओर होने चाहिए तो कोई कहता है, नीचे की ओर। ज्यादा लाभ के लिए जानें कैसे लगाएं ?
घोड़े की नाल कैसे लगाएं (Ghode Ki Naal Kaise Lagaye)
घोड़े के पैर में ‘U’ आकार का लोहे का कवच लगाया जाता है, जिसे बोलचाल की भाषा में नाल कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह को श्रम का कारक माना गया है। जब किसी के ऊपर शनि भारी होता है तो शनि उस व्यक्ति से ज्यादा श्रम करवाता है, जिससे व्यक्ति परेशान हो जाता है।
घिसी हुई नाल घोड़े की मेहनत का प्रतीक है तथा काला रंग और लोहा धातु शनि के प्रतीक है। अतः लोहे की नाल को शनि दोष निवारण के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। लोहे की नाल बहुपयोगी और तीव्र प्रभावशाली होती है। इसलिए वास्तु और तंत्रशास्त्र में इसका ज्यादा प्रयोग किया जाता है।
घोड़े की नाल का उपयोग
जिन व्यक्तियों के ऊपर शनि की साढ़े साती या ढैया चल रही हो अथवा जो व्यक्ति शनि से पीड़ित हो, उन्हें काले घोड़े की नाल का छल्ला दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए और अपने घर के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल अवश्य लगानी चाहिए। इससे शनि के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।
घोड़े की नाल के दोनों सिरो को यदि नीचे की तरफ करके लगाया जाए तो इससे बुरी आत्माओं, नजर दोष तथा नकारात्मक ऊर्जा से घर एवं कार्यालय की रक्षा होती है।
यदि नाल के दोनों सिरे ऊपर की ओर करके लगाए जाएं तो यह सौभाग्यवर्धक एवं सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं।
लोहे की नाल घोड़े के पांव से फिसल कर गिरी हुई सड़क पर मिले तो उत्तम है। यदि खरीद कर लाएं तो किसी जानकार द्वारा अभिमंत्रित कराकर ही शुभ मुहूर्त में लगाएं।
आवश्यक निर्देष
शनि की साढ़े साती हो तो घोड़े की नाल का बना हुआ लोहे का छल्ला सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए। किंतु छल्ले को बनाने के लिए नाल को गर्म नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से नाल के गुणों में कमी आ जाती है तथा उसका आंशिक लाभ ही मिल पाता है।
घोड़े की नाल को लगाने के लिए शुक्ल पक्ष में शनिवार का दिन विशेष फलदायी होता है। यदि शनिवार के दिन शनि नक्षत्र पड़े तो और भी शुभ होगा।
एक बार घर में नाल को स्थापित कर देने के बाद इसकी पूजा भी जरूरी होती है। विभिन्न पर्वो पर उस पर सिंदूर चढ़ाना चाहिए। विशेषकर ग्रहण काल में, शनि जयंती पर, होली और दीपावली को सिंदूर अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे तांत्रिक क्रियाओं का असर नहीं होता।
ध्यान रखें, एक नाल का प्रयोग एक बार ही करना है। यदि किसी नाल को मुख्य द्वार या अन्य दरवाजे पर ठोक दिया हो तो उसे फिर दूसरे स्थान पर प्रयोग करने के लिए नहीं उखाड़ना चाहिए।
यदि आप मकान अथवा दुकाने बदल रहे हैं, तो इस स्थिति में भी नाल को उखाड़कर नहीं ले जाना चाहिए। बल्कि नए स्थान के लिए नई नाल लेकर अभिमंत्रित करवाकर, उसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
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