ग्रहों की शांति के उपाय, ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी बनाते हैं बीमार
ग्रहों की शांति के उपाय (Grahon Ki Shanti Ke Upay): आकाश में स्थित नवग्रह संपूर्ण मानव जीवन पर प्रभाव डालते हैं। इनके द्वारा ही मनुष्य सुख-दुख, सफलता-असफलता और दरिद्रता-ऐश्वर्य का भागी होता है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार अनेक रोग भी इन्हीं नवग्रहों के अनिष्ट प्रभाव के कारण उत्पन्न होते हैं। यदि इन ग्रहों की शांति के उपाय किए जाएं तो रोग शीघ्र ही दूर भी हो जाते हैं –
ग्रहों की शांति के उपाय (Grahon Ki Shanti Ke Upay)
विभिन्न तंत्र ग्रंथों में नवग्रह जन्य रोगों से छुटकारा पाने का भी वर्णन मिलता है। उन्हीं ग्रंथों में से कुछ कारगर उपाय यहां दिए जा रहे हैं –
सूर्य हो कमजोर तो
सूर्य ग्रह के अशुभ प्रभाव से क्षय रोग तथा मस्तिष्क की दुर्बलता आदि रोग पैदा होते हैं। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में रविवार के दिन तांबे का टुकड़ा किसी नदी में प्रवाहित करने से क्षय रोग दूर होता है। रविवार के दिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय गाय के घी और दूध में तांबे की अंगूठी डुबो दें। फिर उस अंगूठी को सूर्य की ओर मुंह करके दाई उंगली में धारण करने से भी क्षय रोग का निवारण होता है। या सूर्य की होरा में रविवार के दिन खरगोश के दांत को कपड़े में बांधकर गले में धारण करने अथवा हुदहुद पक्षी का सिर अपने पास रखने से भी घबराहट, चिंता, हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं।
बार-बार आइना देखें
चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभाव से खांसी और सर्दी-जुकाम होता है। इसके लिए चंद्रमा की होरा में सोमवार के दिन बार-बार दर्पण देखें। इससे खांसी दूर होती है। चंद्रमा की होरा में सोमवार के दिन लोहे की अंगूठी को दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें। पित्ताशय की पथरी दूर हो जाएगी। इसके अलावा आप चाहें तो चंद्रमा की होरा में सोमवार के दिन किसी नदी में चांदी का टुकड़ा प्रवाहित भी कर सकते हैं। इससे बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम से छुटकारा मिल जाता है।
मंगल के लिए गुड़ पानी में डालें
मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से कफ-पित्त प्रकोप, लीवर एवं तिल्ली के विकार, अजीर्ण तथा पक्षाघात आदि रोग होते हैं। इसके निवारण के लिए मंगल की होरा में मंगलवार के दिन अनंतमूल की जड़ लाकर लाल डोरे में लपेट लें। फिर इसे पीड़ित व्यक्ति की दाईं भुजा में बांध दें। इससे कफ-पित्त के विकार दूर हो जाएंगे। मंगल की होरा में मंगलवार के दिन गाय के ताजे दूध में सोने की अंगूठी डुबोकर दाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण करने से यकृत और तिल्ली के विकार दूर होते हैं।
इसके अलावा चित्रा नक्षत्र में मंगलवार के दिन नदी में गुड़ की बनी सामग्री प्रवाहित करने से भी मंगल जनित बीमारियां नहीं होती है। अगर अजीर्ण की समस्या रहती हो तो इस प्रयोग के करने से लाभ मिलता है। धनिष्ठा नक्षत्र में मंगलवार के दिन पक्षाघात वाले अंग पर तांबे का टुकड़ा स्पर्श कराके नदी में प्रवाहित कर दें। ग्यारह मंगलवार तक इस प्रयोग को करें। यह प्रयोग करने से पक्षाघात का नाश हो जाता है।
रुद्राक्ष पहनें
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से सांस संबंधी समस्याएं होती हैं। इसके लिए बुधवार के दिन बुध की होरा में षट् मुखी रुद्राक्ष को हरे डोरे में पिरोकर रोगी के गले में पहना दें। इससे शीघ्र ही लाभ मिलता है। वैसे भी रुद्राक्ष को हृदय रोगी के लिए फलदायी माना गया है।
गुरु के लिए
गुरु ग्रह के दुष्प्रभाव से बवासीर रोग होता है। बंदर के सिर के बालों को जलाकर उसका धुआं एक कोरे लंगोट को दें। फिर वह लंगोट बवासीर के रोगी को पहनने के लिए दें। बवासीर रोग दूर हो जाएगा।
जब हो शुक्र का प्रभाव
शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण शरीर के किसी भी भाग से रक्तस्राव होने लगता है। आर्द्रा नक्षत्र में शुक्रवार के दिन सफेद कनेर की जड़ ले आएं। फिर उसे गंगाजल से धोकर सफेद डोरे की सहायता से गले में पहन लें। यदि नकसीर की समस्या रहती हो तो यह दूर हो जाएगा।
राहु और केतु
राहु ग्रह के अशुभ प्रभाव से शरीर आदि में चोट लगने एवं दर्द होने की आशंका होती है। इसके लिए काले कुत्ते को नियमित रूप से भोजन दें। आठ खोटे सिक्कों को नदी में प्रवाहित करने से भी राहु जन्य रोगों तथा उपद्रवों का नाश होता है। वहीं केतु के अशुभ प्रभाव से त्वचा संबंधी रोग होते हैं। केतु की शुभ दृष्टि के लिए प्रत्येक रविवार को किसी मंदिर में केले का दान करना चाहिए। माथे पर केसर का तिलक लगाने से भी त्वचा रोग दूर होने लगता है।
तो पहने घोड़े की नाल
शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से पथरी रोग और आंत उतरने की बीमारी हो जाती है। शनिवार के दिन शनि की होरा में भिंडी की जड़ लाकर कमर में धारण कर लें। आंत यथास्थान आ जाएगी। शनि की होरा में शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल का छल्ला बनवाकर दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहनने से पथरी धीरे- धीरे गलकर बाहर निकल जाती है।
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