कर्म का महत्व, अच्छे कर्मों से भी बदलती है ग्रहों की दशा
कर्म का महत्व (Karm Ka Mahatva): कुंडली में ग्रहों की स्थिति जातक के कर्म से बदलती रहती है। कर्म को महत्व देते हुए लाल किताब में कहा गया है कि ग्रहों की दशा को अपने कर्म से भी बदला जा सकता है। लाल किताब ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और दृष्टि आदि के आधार पर मंदा और शुभ फल देने का विधान है। मंद ग्रहों के घर में या राहु बुध या शुक्र के साथ मंदा माना गया है। चंद्रमा के साथ उसके शत्रु ग्रह जैसे राहु, केतु या शनि हो या किसी प्रकार का दृष्टि संबंध हो तो भी चंद्र का फल अशुभ हो जाता है। लाल किताब के अनुसार, हर ग्रह के दो असर होते हैं – शुभ और अशुभ।
कर्म का महत्व (Karm Ka Mahatva)
जब कोई ग्रह ठीक हालत में हो तो वह आपके लिए शुभ असर देता है और वही ग्रह यदि अपने कर्मा या दृष्टि प्रभाव से मंदा असर दे तो कष्टप्रद बन जाता है। कोई भी ग्रह चाहे जितना भी शुभ क्यों न हो, आजीवन शुभ फल नहीं दे सकता और इसी प्रकार कोई ग्रह कितना भी अशुभ क्यों न हो, जीवन भर अशुभ फल नहीं देता। इसीलिए लाल किताब में वर्षफल कुंडली तथा जन्मकुंडली दोनों के तालमेल से ही उपाय बताए गए हैं।
वर्ष कुंडली या जन्म कुंडली
सिर्फ वर्ष कुंडली या जन्म कुंडली देखकर कोई भी उपाय करना ठीक नहीं होता, क्योंकि यदि जन्मकुंडली के अशुभ ग्रह उस साल वर्षफल में शुभ स्थान में स्थित हों तो उनके उपाय की जरूरत नहीं होती। इन सिद्धांतों के आधार पर यदि कोई ग्रह नेक हालत में भी हो तो भी कई बार देखा गया है कि व्यक्ति को उसके अच्छे प्रभाव नहीं मिल रहे होते और वह कष्ट में पड़ जाता है।
किसी व्यक्ति का बृहस्पति लग्न में या चौथे घर में उत्तम फलदायक है और अन्य ग्रहों से युति, मित्रता, शत्रुता और दृष्टि सिद्धांत द्वारा भी नेक हालात में है, लेकिन वह व्यक्ति अपने पिता, दादा या आदर योग्य व्यक्ति की अवहेलना और निरादर करे तो उसका उत्तम बृहस्पति भी निष्फल हो जाता है।
ऐसे में जातक को मान हानि, अप्रतिष्ठा, पुत्र सुख की कमी, शत्रुओं द्वारा हानि जैसे कष्ट संभव हैं। इसी प्रकार अपने भाइयों के साथ बेईमानी करने वाले व्यक्ति का मंगल नीच हो जाता है और उत्तम मंगल भी नीच प्रभाव देना आरंभ कर देता है, लेकिन मंदे मंगल वाला व्यक्ति भी यदि अपने भाइयों के साथ नरमी और प्यार का बर्ताव करता रहे तो नीच मंगल भी अच्छा फल देने लगता है। इस तरह आपके कर्मों का शुभ और अशुभ फल ग्रहों की दशा को प्रभावित करती है।
ठीक इसी तरह शनि सातवें, दसवें और ग्यारहवें घर में उत्तम प्रभाव देता है, परंतु व्यक्ति यदि शराब, मांस, अंडे का प्रयोग करता है, झूठ बोलता है, पराई स्त्री से संबंध रखता है या किसी को धोखा देता है या घर में स्त्री को प्रताड़ित करता है तो यह शनि के प्रभाव को मंदा कर देता है। शनि को मंदा करने वाली इन आदतों से दूर रहकर व्यक्ति अपने अशुभ शनि के प्रभावों से बच भी सकता है।
लाल किताब के टोटके
- लाल किताब में विभिन्न ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए कई टोटके बताएं गए हैं। जो ग्रहों को प्रभावित कर शीघ्र फल देता हैं।
- यदि सूर्य और शुक्र की स्थिति कुंडली के किसी भी भाव में इकट्ठे चौथे या सातवें भाव में हों तो रात्रि में होने वाले व्यापार पर नौकरी लाभ प्रदान करेंगे।
- अगर सूर्य बुध इकट्ठे आठवें भाव में स्थित है तो मिट्टी के पात्र में शहद व बूरा भरकर निर्जन स्थान में रखें। इससे रोगों से मुक्ति होगी। सूर्य-बुध यदि 11 वें भाव में है तो किराएदार न रखें।
- यदि सूर्य केतु इसी भाव में है तो सूर्योदय के समय गाय का कच्चा दूध सूर्य को चढ़ाएं। इससे लाभ मिलता है।
- यदि स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हो तो अपनी पत्नी के और अपने हाथ में लाल रंग का रत्न धारण करें।
- गौ मूत्र को घर के मुख्य द्वार पर छिड़कने से केतु, बुध और शुक्र का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। यदि गौ मूत्र को घर के आंगन में छिड़के तो घर पर कभी विपत्ति नहीं आएगी।
- कुंडली में शनि और गुरु इकट्ठे किसी भी भाव में होने पर बछड़े का दान करने से शुभ होता है। वही चंद्र और केतु के इकट्ठे होने पर पंडितों को भोजन कराना अच्छा होता है।
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