आईये जाने, फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है? और फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दर क्या है?
फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है? और फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दर क्या है? fixed deposit kya hai? बैंक के द्वारा जो ब्याज दिया जाता है वह एफडी की समय सीमा पर निर्भर करता है तथा सभी बैंक एफडी की ब्याज दरों में भिन्नता (अलग-अलग) होती है। फिक्स डिपॉजिट ब्याज, जमा करने वाले व्यक्ति के उम्र पर भी निर्भर करता है।
एफडी खरीदने से पहले अगर हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो सही वक्त पर हम अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है और फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दर क्या है?
एफडी के बारे में जानकारी – FD की न्यूनतम और अधिकतम अवधि क्या है ?
बैंक के फिक्स डिपाजिट को अब तक का एवरग्रीन सेविंग स्कीम माना जाता रहा है। FD एक अच्छा इन्वेस्टमेंट है, अभी इस पर 5.5 से लेकर 6. 5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है। FD की न्यूनतम और अधिकतम अवधि 1 साल से लेकर 10 साल तक की होती है। थोड़े बहुत बदलाव समय के साथ तो होते ही हैं, लेकिन आपको मुनाफा मिलना तय है। एफडी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको कभी घाटे में नहीं डालती और पूर्ण होने पर आपको फ़ायदा ही देगी वह भी बहुत अच्छा।
फिक्स डिपाजिट के फायदे
FD एक सुरक्षित व गारंटी वाला निवेश है जो आपका रिटर्न सुनिश्चित करता है मूलधन या जो पैसा आपने जमा किया है उस पर खतरे की कोई बात नहीं होती है, इस पर कुछ बाजार के उतार-चढ़ाव का भी असर नहीं पड़ता जिससे आपने जो पूंजी निवेश की है वह सुरक्षित रहती है। यही बात FD (सावधि जमा) को आम और खास तक में लोकप्रिय बनाता है। इसमें बस एक दिक्कत है अगर बैंक या जहां पैसा फिक्स करना है उसका चुनाव बहुत सोच समझ कर करना होता है नहीं तो आपके मूलधन का नुकसान हो सकता है या पेमेंट मिलने में देरी हो सकती है।
FD लेने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है
- जहां भी पैसा लगा रहे हैं उसका स्टेटस जरूर चेक कर ले कुछ एजेंसी ऐसी है जैसे crisil या icra जैसी क्रेडिट एजेंसी द्वारा जो रेटिंग देती है, तो अच्छी रेटिंग वाली एजेंसी या फाइनेंसर को चुनें जैसे उसके मार्केट रेपुटेशन, उसका प्रोफाइल, फाइनेंशियल स्टेटस और क्रिसिल का स्टेटस चेक कर लें। अगर इन बातों पर ध्यान देकर पैसा लगाते हैं तो वह सुरक्षित रहेगा और समय पर रिटर्न की भी गारंटी साथ में मिलेगी।
- निवेश करने से पहले एक बात और ध्यान देने वाली है की आप जो भी निवेश करना चाह रहे हैं वह किसी एक बैंक में ना करें जो भी आप निवेश करें वह अलग-अलग बैंकों में करें और एफडी के पूर्ण (मैच्योर ) होने की अवधी भी अलग अलग रखें जिससे लंबे समय तक आप FD के ब्याज का लाभ उठाते रहेंगे।
- अब तो सरकार ने निवेशित राशि का इंश्योरेंस भी तय कर दिया है। पहले ₹1 लाख थी जिसे बढ़ाकर ₹5 लाख तक की जमा पूंजी को इंश्योर्ड कर दिया है।
- बैंक से जो ब्याज आपकी राशि पर मिलता है वह आपके एफडी के समय पर निर्भर करता है अलग-अलग बैंकों का ब्याज दर अलग-अलग होता है और सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात है की ब्याज दर उम्र पर भी निर्भर करती है याद रखिये जो फाइनेंसर ज्यादा ब्याज देता है, वहां पैसा लगाना ज्यादा फायदेमंद होता है। कुछ ऐसे फाइनेंसर है जो सीनियर सिटीजन को एफडी पर रेगुलर रेट से 0.5% तकज्यादा ब्याज देते हैं।
- एफडी में भी अंतर होता है संचयी और गैर-संचयी, आपको यह अंतर समझ के ही अपना पैसा निवेश करना होगा, संचयी एफडी के अंतर्गत ब्याज के रूप में जो पैसा मिलता है, उसे फिर से निवेश कर सकते हैं। मैच्योरिटी होने पर इसमें चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में रिटर्न मिलता है। तथा दूसरा गैर संचयी एफडी में एक निश्चित अवधि में जैसे कि हर महीने या साल भर पर ब्याज का पैसा जुड़ता है. संचयी एफडी में चार महीने पर ब्याज इकट्ठा होता है और वह मूलधन के साथ निवेश हो जाता है। गैर संचयी, यह एफडी रिटायर्ड निवेशकों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, क्योकि उनके खर्चे के हिसाब से इसमें रिटर्न आते रहते हैं।
- एफडी पर लोन, अगर कभी कोई इमरजेंसी आ जाए तो आप अपनी फिक्स की गई धनराशि पर लोन ले सकते हैं। लोन जो लगभग FD का 90% तक का हिस्सा हो सकता है। आपके लोन की अवधि एफडी की अवधि के बराबर हो सकती है। इसमें अधिकतम अवधि को एफडी के अधिकतम वर्ष के साथ फिक्स किया गया है। यह ध्यान रखना होगा कि एफडी पर लोन लेते हैं तो उसका ब्याज भी चुकाना होगा जो 0.5% से लेकर 2% तक का हो सकता है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात, एफडी की अवधि से पहले उसे तोड़ सकते हैं मतलब अगर कभी कोई इमरजेंसी आ जाए तो आप अपना पैसा ले सकते हैं लेकिन उस पर बैंक कुछ चार्ज वसूलते हैं। इस बात का बैंक से या फाइनेंसर से एफडी करने से पहले पता कर लें कि वह इमरजेंसी में तोड़ी गयी FD पर कितना शुल्क पेनाल्टी के तौर पर लेंगे। अमूमन यह शुल्क 0.5 % से लेकर 1 % तक का होता है। हालांकि कुछ बैंक तो बिना पेनाल्टी लगाए भी एफडी तोड़ने की इजाजत देते हैं। लेकिन इसकी कुछ शर्तें होती हैं जो निवेशक को माननी होती हैं।