मंगल ग्रह से संबंधित व्यापार – जानें दैनिक जीवन के अलावा हमारे व्यापार पर भी ग्रहों का प्रभाव
मंगल ग्रह से संबंधित व्यापार (Mangal Grah Se Sambandhit Vyapar): हमारे दैनिक जीवन के अलावा हमारे व्यापार पर भी ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव पड़ता है। प्रत्येक ग्रह की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं, कुंडली में वह किस भाव में बैठा है, किस ग्रह से संबंध रखता है, उसी के अनुसार उसके फल प्राप्त होते हैं।
Mangal Grah Se Sambandhit Vyapar – मंगल ग्रह से संबंधित व्यापार
मंगल से संबंधित कौन कौन से व्यवसाय हैं ? यदि आपकी रुचि उस व्यवसाय में है और यदि आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी है तो, आप वह व्यवसाय कर सकते हैं और विश्वास करें कि आपको लाभ होगा। व्यापार की दृष्टि से देखा जाए तो मंगल से संबंधित व्यवसाय, कृषि, धातु, बिजली, अग्नि से संबंधित कार्य, बागवानी, मशीन के पुर्जे, उपकरण, भवन निर्माण, भूमि व्यवसाय, चिकित्सा कार्य, सेना, पुलिस, न्यायपालिका, इंजीनियरिंग, बेकरी, मिठाई का कारोबार आदि मंगल के दायरे में आते हैं।
तो आइए जानते हैं कुंडली में किस भाव में स्थित मंगल हमें किन क्षेत्रों में व्यापार करने की प्रेरणा देता है –
प्रथम भाव – सौंफ, सौंफ की बनी चीजें।
दूसरा भाव – पक्षियों से संबंधित कार्य।
तृतीय भाव – हाथी दांत से बनी वस्तुओं का व्यापार।
चतुर्थ भाव – नीम और अन्य कड़वे पेड़, लोहे की बनी वस्तुएं, चमड़े का काम।
पंचम भाव – डॉक्टर का व्यवसाय।
छठा भाव – औषधि का व्यवसाय (विशेषकर पेट संबंधी रोग)।
सप्तम भाव – अजवायन, फलीदार वृक्ष, मसूर।
अष्टम भाव – घर, भवन और निर्माण कार्य जिसमें मशीन का काम नहीं होता है।
नवम भाव – लाल वस्तु, फलीदार वृक्ष, सूखे मेवे का व्यापार।
दशम भाव – मिठाई, शहद और मीठी वस्तुओं का व्यापार।
एकादश भाव – लाल रंग की वस्तुओं जैसे तांबा, सिंदूर आदि का व्यापार।
द्वादश भाव – कड़वी दवाओं का व्यापार।
हम आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी, और आप इसको अपना कर अपने जीवन में सफ़लता और उन्नति प्राप्त कर सकेंगे।
यह भी पढ़े – जानिए, स्फटिक की माला पहनने के फायदे और नुकसान
अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।