नाभि खिसकने के लक्षण एवं उपाय, जाने नाभि को कैसे ठीक करें?
नाभि खिसकने के लक्षण एवं उपाय (Nabhi Khisakne Ke Lakshan Evam Upay): नाभि खिसकने से शरीर में कई प्रकार की समस्या पैदा हो सकती है जो कोई दवा लेने से ठीक नहीं होती।फिर सवाल उठता है कि नाभि को कैसे ठीक करें? इसका मतलब नाभि सरकना, नाभि खिसकना या धरण जाना को स्वयं या किसी अनुभवी व्यक्ति से ठीक कराया जा सकता है। यह आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार पद्धति का ही एक हिस्सा है।
नाभि खिसकने के लक्षण एवं उपाय (Nabhi Khisakne Ke Lakshan Evam Upay)
नाभि का अपने स्थान से खिसकने को कई नामों से जाना जाता है। जैसे नारा उखड़ना (Nara), नाभि खिसकना (Nabhi Khisakna), नाभि चढ़ना (Nabhi Chadna), नाभि सरकना (Nabhi Sarakna), धरण जाना (Dharan Jana), पिचोटी खिसकना (Pechoti Khisakna) इत्यादि।
नाभि सरकने से अपच, पेट दर्द, कब्ज व दस्त आदि होने लगते है। अगर नाभि खिसकने का उपचार न किया जाए तो शरीर में और भी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जैसे दांत, बाल, आंखें प्रभावित हो सकती हैं, मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। क्योंकि नाभि को मानव शरीर का केंद्र माना जाता है।
शरीर की बहत्तर हजार नाड़ियाँ नाभि स्थान से जुड़ी होती हैं। नाभि को वापस अपने स्थान पर लाने से ही, उसके अपने स्थान से खिसकने की समस्या को दूर कर सकती है। आधुनिक चिकित्सा मानती है या नहीं, लेकिन आज भी हजारों लोग इस पद्धति से ठीक होकर लाभ उठा रहे हैं।
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नाभि खिसकने के कारण
अगर पेट की मांसपेशियां कमजोर हों तो नाभि खिसकने की समस्या ज्यादा होती है। दैनिक जीवन के कार्य करते समय शरीर का संतुलन ठीक नहीं रख पाने के कारण नाभि खिसक सकती है। इसके अलावा शरीर की मांसपेशियों के एक तरफ भारी भार के कारण भी नारा उखड़ जाता है। पेट पर बाहरी या आंतरिक दबाव नाभि सरकने का कारण हो सकता है।
कुछ सामान्य कारण, जो इस प्रकार हैं –
- चलते समय अचानक पैरों का ऊँचे व नीची जगहों पर पड़ना।
- पेट में अत्यधिक गैस बनना।
- लापरवाही से दाएं या बाएं झुक जाना।
- बिना संतुलन बनाये, एक हाथ से अचानक वजन उठाना।
- बचपन से ही किसी कारण से नाभि में दिक्कत हो।
- खेलते समय गलत तरीके से कूदना।
- ऊंचाई से कूदना।
- पेट में किसी भी तरह की चोट लगना।
- स्कूटर या मोटरसाइकिल चलाते समय झटके लगना।
- गर्भावस्था के दौरान पेट पर आंतरिक दबाव।
- तेजी से सीढ़ियां चढ़ना या उतरना।
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नाभि खिसकने के क्या लक्षण है : जांचे
धरण जाना या नाभि खिसकने का पता लगाने के बहुत आसान तरीके हैं। थोड़े से अनुभव के बाद यह तुरंत पता चल जाता है। ज्यादातर पुरुषों की नाभि बाईं ओर और महिलाओं की नाभि दाईं ओर खिसकती है।
1. छोटी उंगली की लंबाई की जांच से
सीधे खड़े रहें। दोनों पैरों को आपस में सटाकर रखें। अपने दोनों हाथों को सीधा करें। हथेलियों को खुला रखते हुए उन्हें इस तरह समानांतर रखें कि दोनों छोटी उंगलियां करीब हों। हथेली की रेखा को जोड़कर छोटी उंगली की लंबाई की जांच करें। यदि छोटी उंगलियों की लंबाई में अंतर हो, यानी छोटी उंगलियां छोटी बड़ी दिखती हैं, तो ये माना जाता है कि नारा उखड़ा (नाभि खिसकी) है।
2. नाभि से निप्पल की दूरी के मापन से
पुरुषों की नाभि की जांच करने के लिए, उसकी नाभि और निप्पल के बीच की दूरी को एक धागे से मापें। अब नाभि से दूसरे निप्पल तक की दूरी नापें। यदि माप अलग -अलग है, तो यह नाभि खिसकने के लक्षण है।
3. नाभि में नाड़ी ढूंढ के
सुबह खाली पेट, पीठ के बल चटाई पर लेट जाएं। हाथ और पैर सीधे रखें। हथेलियां जमीन की ओर रखें। अब अंगूठे से नाभि पर हल्का दबाव डालकर स्पंदन की जांच करें। नाभि पर यदि स्पंदन महसूस हो तो नाभि ठीक होती है। यदि स्पंदन नाभि के स्थान पर न होकर नाभि के ऊपर, नीचे, दाएं या बाएं महसूस होती है, तो नाभि अपने स्थान से खिसक गई है।
नोट: जैसे अंगूठे के नीचे, कलाई पर नाड़ी का अहसास होता है। नाभि में भी इसी तरह के स्पंदन महसूस होते हैं।
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नाभि खिसकने से (होने वाले रोग) नुकसान
- निचे की ओर: यदि नाभि नीचे की ओर खिसक गई हो तो अतिसार, अतिसार, पेचिश आदि की समस्या होती है।
- ऊपर की ओर: यदि नाभि ऊपर की ओर खिसक गई हो तो कब्ज, अधिक गैस बनना, फेफड़ों की समस्या, अस्थमा व मधुमेह आदि रोग हो सकते हैं।
- बायी ओर: यदि बाईं ओर खिसक गयी हो, तो सर्दी, जुकाम, खांसी, कफ आदि की समस्या बार-बार हो सकती है।
- दायी ओर: दाईं ओर खिसकने पर लीवर प्रभावित हो सकता है। एसिडिटी, अपच या जी मचलने की समस्या हो सकती है।
- गहरी: यदि नाभि का स्पंदन अधिक गहराई में यानि नीचे महसूस हो, तो व्यक्ति कितना भी खा ले, शरीर कमजोर ही बना रहता है।
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नाभि ठीक करने के घरेलू उपाय
यदि नाभि सरके या खिसके ज्यादा समय नहीं हुआ हो तो, नीचे दी गई विधियों को अपनाने से जल्द वापस अपनी जगह आ जाती है। यदि अधिक समय हो गया हो तो, थोड़ा ज्यादा प्रयास करना होगा। अगर आपको खुद से फायदा नहीं हो रहा है तो नाभि को किसी अनुभवी व्यक्ति से ठीक कराना चाहिए।
कुछ लोग खुद के पेट को तेल से मसल कर नाभि को ठीक करने की कोशिश करते हैं, जो सही तरीका नहीं है। अपने से पेट को नहीं मसलना चाहिए।
यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो नाभि बार-बार खिसक सकती है। इसलिए कुछ व्यायाम आदि करके उन्हें मजबूत करें। दोनों पैरों के अंगूठों में एक मोटा काला धागा बांधने से भी नाभि बार-बार खिसकती नहीं है।
नाभि को ठीक करने के उपाय यहां दिए गए हैं, आप अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार नाभि को वापस उसकी जगह पर ला सकते हैं।
1. सरसों का तेल
इसमें सरसों का तेल काफी मददगार हो सकता है। इसके अलावा यह दर्द को भी दूर करता है। जब आपकी नाभि खिसक जाए तो सरसों के तेल की कुछ बूंदें खाली पेट नियमित रूप से नाभि में तीन से चार दिन तक डालें। आप जल्द ही फर्क देख सकते हैं।
2. उत्तानपादासन
यह आसान नाभि खिसकने में बहुत उपयोगी होता है। इससे बहुत जल्दी लाभ मिलता है। और यह योग करने में भी आसान है। सुबह खाली पेट पीठ के बल चटाई या योगा मैट पर लेट जाएं। दोनों पैरों को पास और सीधा रखें। हाथ सीधे और कलाई जमीन की ओर होनी चाहिए। अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं। इन्हें लगभग 45° तक ऊपर उठाएं। फिर इसे धीरे-धीरे नीचे लाएं। ऐसा तीन बार करें। नाभि सही जगह आएगी।
3. पादांगुष्ठनासास्पर्शासन
सुबह खाली पेट किसी योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अब एक पैर को मोड़कर दोनों हाथों से पैर को पकड़ लें। दूसरे पैर को सीधा रखें। जैसे बच्चा अपना पैर पकड़कर अपने पैर के अंगूठे को अपने मुंह में रखता है, उसी तरह अपने पैर को पकड़ें।
अब पैर के अंगूठे को नाक की ओर धीरे-धीरे धकेलते हुए नाक की ओर ले जाने की कोशिश करें। अपना सिर थोड़ा ऊपर उठाएं। अब धीरे-धीरे पैरों को सीधा करें। यह एक योग मुद्रा है।
इसी तरह दूसरे पैर से भी यही क्रिया करें। ऐसा दोनों पैरों से तीन बार करें। फिर एक बार फिर दोनों पैरों को आपस में जोड़कर इस क्रिया को करें। नाभि अपने सही स्थान पर आ जाएगी।
4. सक्शन पंप के द्वारा नाभि खिसकने की समस्या का उपचार
सक्शन पंप की मदद से नाभि खिसकने की समस्या दूर हो जाती है। यह सक्शन पंप वैक्यूम थेरेपी पर काम करता है। इस पंप का कप जैसा हिस्सा नाभि के बीच में रखा जाता है। इसके बाद यह कप पंप की मदद से नाभि पर चिपक जाता है। इस पंप को कुछ देर के लिए नाभि पर छोड़ दें, जिसके बाद यह अपने आप निकल जाता है। इससे नाभि अपनी सही जगह पर आ जाती है। आप इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहरा सकते हैं।
5. छोटी उंगली (कनिष्ठा उंगली)
जिस हाथ की छोटी उंगली की लंबाई कम हो, उसे सीधा कर लें। हथेली ऊपर की ओर होनी चाहिए। अब इस हाथ को दूसरे हाथ से कोहनी के जोड़ के पास पकड़ें। और कोहनी को थोड़ा ऊपर उठा के रखें। अब पहले हाथ की मुट्ठी को कसकर बंद कर लें। इस मुट्ठी से, झटके से अपने इसी तरफ वाले कंधे पर मारने की कोशिश करें। यह प्रक्रिया दस बार दोहराएं।
अब फिर से उंगलियों की लंबाई चेक करें। लंबाई का अंतर गायब हो गया होगा। यानी नाभि अपनी जगह आ गई है। अगर ऐसा नहीं होता है तो एक बार फिर वही क्रिया दोहराएं।
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