वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, क्योंकि चारों दिशाओं में बसते हैं भगवान
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर (Vastu shastra ke anusar ghar): पहले की अपेक्षा अब घर निर्माण में लोग घर का वास्तु शास्त्र सिद्धांतों का ज्यादा ध्यान रखने लगे हैं। चूंकि वास्तु हमारा प्राचीन विज्ञान है, जिसके आधार पर हम कोई भी निर्माण कार्य प्रारंभ करते हैं। यदि हमारे द्वारा गलत दिशा में कोई निर्माण किया जाता है तो वास्तु (दिशा वास्तु शास्त्र) हमें उसके दुष्प्रभावों से बचने के उपाय भी बताता है –
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर (Vastu shastra ke anusar ghar)
वास्तु शास्त्र में हर दिशा के हिसाब से अलग-अलग देवता बताए गए है, जो उन दिशाओं के स्वामी है। वास्तु में लगभग 49 देवता माने गए हैं, जो हमें बेहतर स्वास्थ्य, शांति, प्रसिद्धि, समृद्धि और खुशियां देते हैं। अगर घर में कोई वास्तु दोष रह गया हो तो उसके लिए उस दिशा के स्वामी की आराधना करना चाहिए। इससे वास्तुदोष के असर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
किस दिशा का स्वामी कौन
- पूर्व दिशा को भगवान इंद्र का दिशा माना गया है। इंद्र देवताओं में प्रमुख देवता है, जो हमें समृद्धि और खुशियां प्रदान करते हैं। इसलिए इस दिशा में कोई वास्तुदोष नहीं होना चाहिए। इस तरह पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है। इस दिशा से सकारात्मक और ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। गृहस्वामी की लंबी उम्र व संतान सुख के लिए घर के प्रवेश द्वार व खिड़की का इस दिशा में होना शुभ माना जाता है।
- पश्चिम दिशा में वरुण का वास माना गया है। वरुण वर्षा के देवता हैं। इनकी कृपा से ही वर्षा होती है, जिससे हमारे जीवन में खुशियां आती हैं।
- कुबेर को उत्तर दिशा का स्वामी कहा गया है। कुबेर को समृद्धि के देवता के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह हमें धन-धान्य से संपन्न करते हैं। इसलिए इस दिशा में कभी भी कोई वेध नहीं रखना चाहिए।
- दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता यम का है। यम हमें धार्मिक कार्यों की ओर प्रवृत करते हैं तथा हमारी सारी बुराइयों का नाश करते हैं।
- उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में बुद्धि के देवता निवास करते हैं, जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं। इस दिशा में मुंह करके पढ़ना या अध्ययन कक्ष बनवाना फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिशा में बोरिंग, स्विमिंग पूल, पूजा स्थल आदि भी हो सकता है। घर के मुख्य द्वार का इस दिशा में होना वास्तु की दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र और दिशा
- दक्षिण पूर्व दिशा (आग्नेय दिशा) में अग्नि देवता निवास करते हैं, जो हमें अच्छा व्यक्तित्व प्रदान कर चरित्रवान बनाते हैं। इनकी कृपा दृष्टि घर के लोगों को संस्कारवान बनाती है। इससे घर में सुख शांति आती है। इसलिए इस दिशा में कोई भी निर्माण सोच समझकर करवाना चाहिए।
- दक्षिण पश्चिम दिशा अर्थात नैऋत्य कोण में विराजमान देवता हमारे शत्रुओं का नाश कर हमें अभय दान प्रदान करते हैं। वह हमेशा प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं। इनकी सजगता ही हमारे लिए अभयदान है। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल ही नहीं होना चाहिए। गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए। कैश काउंटर, मशीने आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं। उत्तर पश्चिम दिशा यानी वायव्य दिशा में वायु देवता निवास करते हैं, जो हमें जीवन रक्षक प्राणवायु प्रदान करते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि का होना अच्छा माना जाता है।
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