सूर्य साधना विधि, सूर्य किरणों से मिलती है जीवन घुट्टी
सूर्य साधना विधि (surya sadhana vidhi): सूर्य सब रोगों से मुक्ति दिलाता है। इसकी किरणों में जीवन की कई अमूल्य निधियां छिपी हुई हैं। इसलिए प्रातः सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है क्योंकि सूर्य की सप्तवर्णी किरणें जलधार से निःसृत होकर हमारे शरीर को बल देती है, तो आईये जानते है सूर्य साधना विधि के साथ सूर्य चिकित्सा की विधि और सूर्य आराधना मंत्र के बारे में –
सूर्य साधना विधि (surya sadhana vidhi)
सदियों से सूर्य देव की पूजा उपासना होती रही है और आज भी लोग सूर्य की पूजा निष्ठापूर्वक करते हैं। सूर्य के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भगवान विष्णु के अंशावतार के रूप में सूर्य का जन्म माता अदिति के गर्भ से हुआ, तभी तो इनका एक नाम आदित्य भी है। भगवान ने संपूर्ण चराचर जगत को प्रकाशित करने का कार्य सूर्य देव को सौंपा हुआ है।
श्री विष्णु पुराण में भगवान सूर्य देव के 12 नामों की चर्चा की गई है। शास्त्रों के अनुसार इनके नामों में चैत मास के सूर्य को धाता, वैशाख मास के आर्यमा, जेष्ठ मास के सूर्य मित्र, आषाढ़ मास के सूर्य को वरुण और सावन मास के सूर्य को इंद्र कहा जाता है। वही भाद्रपद मास के सूर्य को विवश्वान, अश्विन मास के सूर्य को पूषा, कार्तिक मास के सूर्य को पर्जन्य, अगहन के सूर्य को अंशुमाली, पौष मास के सूर्य भग, माघ मास की सूर्य को त्वष्ठा तथा फाल्गुन माह के सूर्य को विष्णु कहते हैं।
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1. सूर्य चिकित्सा की विधि
सूर्य की किरणों में सभी रोगों को जड़ से खत्म करने की शक्ति है। ऋषि मुनि इस बात को जानते थे तभी तो विभिन्न रोगों के लिए सूर्य किरणों का प्रयोग करते थे। प्राकृतिक चिकित्सा में विभिन्न रंग की बोतलों के जल से शक्ति वर्धन होता है एवं शांति मिलती है।
इसके लिए विशेष रंग की बोतलों में गंगाजल भरकर इसको सूर्य के प्रकाश में उर्जा एकत्रित करने के लिए रखा जाता है। अलग-अलग रंग की बोतलों में पानी भरकर या गंगाजल भरकर रोगानुसार दवा तैयार की जाती है।
नीले रंग की बोतल
इसमें नीले रंग की बोतल में सूर्य तप्त जल से बुखार, अतिसार, मूत्रविकार, सिरदर्द एवं श्वसन प्रणाली के रोगों में लाभ होता है।
पीले रंग की बोतल
इसी प्रकार पीले रंग के सूर्य तापित जल से अजीर्ण, मिर्गी रोग, आमाशय संबंधी बीमारियों का उपचार किया जाता है।
हरे रंग की बोतल
हरे रंग की बोतलों में किए जाने वाले सूर्य तापित जल से शरीर का रूखापन, फोड़े फुंसियां, आदि दूर होते हैं।
लाल रंग की बोतल
इसी प्रकार लाल बोतलों में सूर्य तापित जल से गैस, बदहजमी जैसे रोगों को दूर किया जाता है।
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2. सूर्य साधना विधि
ब्रह्म बेला से लेकर सूर्योदय तक के समय को स्वास्थ्य लाभ देने वाला बताया गया है। इस समय का वातावरण अत्यधिक शुद्ध होता है। यह समय ध्यान, एकाग्रता, मनन, चिंतन, जप तथा पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
इस समय तांबे के पात्र में जल भरकर सिर से ऊंचाई से सूर्य देव को जल अर्पण कर जल की मोटी धारा छोड़नी चाहिए ताकि सूर्य की किरणें जल से छनकर चेहरे पर पड़े। साथ ही आदित्य हृदय स्रोत सूर्य अष्टक का पाठ नियमित रूप से करें।
किसी अच्छे योग में रविवार के दिन स्नान आदि से निवृत होकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके उत्तम आसन पर बैठकर सूर्य देव के चित्र पर पुष्प, चंदन, धूप दीप आदि से पूजा करनी चाहिए। सूर्य देव से प्रार्थना करें कि हे देव ! मैं आपकी स्तुति कर रहा हूं। पूजा बंदना में जो भी त्रुटि हो उसे क्षमा करते हुए मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकारें और मेरी पीड़ा को शांत करके पवित्र ह्रदय, प्रभु भक्ति की ओर मन को जाएं। तो अवश्य ही बुरे से बुरा प्रभाव भी समाप्त होगा और मंगल की प्राप्ति होती है।
हृदय रोगी को नियमित रूप से हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। रविवार को व्रत रखकर नमक, तेल, अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। बुरे प्रभाव से शीध्र छुटकारा प्राप्त होगा। इसके विपरीत अगर सूर्य उच्च में बैठा हो तो जीवन सफल और मर्यादित बनाकर अपार सुख देते हैं। घर में सुख समृद्धि आती है।
माणिक इनका प्रिय रत्न है। धारण करने वाले को सुख प्राप्त कराता है। सूर्य की कृपा दृष्टि पाने के लिए जातक को सूर्य मंत्र का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। मंत्र जाप में लाल चंदन की माला श्रेष्ठ फलदायी मानी जाती है। इसलिए इस माला से कम से कम एक माला का जाप करें।
3. सूर्य आराधना मंत्र
मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः।
तांत्रिक सूर्य मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
सूर्य गायत्री मंत्र – ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात।
वैदिक मंत्र – ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च । हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Mandnam इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।