आहार-विचार का राज खोलेगी कुंडली
आहार-विचार का राज (Aahar-Vichar Ka Raaj): कुंडली से व्यक्ति की पसंद-नापसंद के बारे में पता लगाया जा सकता है। क्योंकि खाने संबंधी आदतें और पसंद आने वाली चीजों की सूचना कुंडली के छठे भाव से मिलती है…
आहार-विचार का राज (Aahar-Vichar Ka Raaj)
ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है, जिसमें केवल कुंडली के आधार पर ही व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का खाका खींचा जाता है। कुंडली को आधार बनाकर भविष्य की बातें बताई जा सकती हैं। मसलन, व्यक्ति का जीवन कैसा होगा, नौकरी का योग हैं या नहीं, वैवाहिक जीवन कैसा होगा, संतान की प्राप्ति होगी या नहीं, जैसी बातों की जानकारी कुंडली में मौजूद हैं, जिसको पढ़कर ज्योतिषी समाधान भी बताते हैं।
यहीं नहीं व्यक्ति के खानपान संबंधी आदतें भी कुंडली से बताई जा सकती हैं। यानी कुंडली आपके जीवन से जुड़े हर रहस्य को खोलने बाली चाबी है। तो आइए, जानें आपकी कुंडली क्या कहती है –
- कुंडली में स्थित धन स्थान से भोजन का ज्ञान होता है। यदि इस स्थान का स्वामी शुभ ग्रह हो और शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति कम भोजन करने वाला होता है।
- यदि धनेश पाप ग्रह हो या पाप ग्रहों से संबंध करता हो, तो व्यक्ति अधिक खाने वाला होगा।
- वहीं शुभ ग्रह पाप ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रह शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो व्यक्ति औसत भोजन करने वाला होता है। जबकि लग्न का बृहस्पति यदि धन स्थान पर स्थिति हो तो यह भाव जातक को अतिभोजी बनाता है।
- यदि अग्नि तत्व वाले ग्रह (मंगल, सूर्य, बृहस्पति) निर्बल हों तो यह पाचन क्रिया को प्रभावित करती है। इससे जातक को पेट संबंधी समस्याएं होती है तथा उसकी पाचन शक्ति खराब रहती है।
- अगर धनेश शुभ ग्रह हो, उच्च या मूल त्रिकोण में हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट करता हो तो व्यक्ति आराम से भोजन करता है।
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- धनेश मेष, कर्क, तुला या मकर राशि में से कोई एक हो या धन स्थान को शुभ ग्रह देखें तो व्यक्ति जल्दी-जल्दी खाने वाला होता है। इसके विपरीत यदि धन स्थान में पाप ग्रह हो, पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति बहुत धीरे-धीरे खाता है।
- कुंडली से व्यक्ति के पसंद-नापसंद के बारे में पता लगाया जा सकता है। क्योंकि खाने में पसंद आने वाली चीजों की सूचना कुंडली के छठे भाव से मिलती है। यदि छठे स्थान में बुध या बृहस्पति ग्रह हो तो जातक को नमकीन वस्तुएं ज्यादा पसंद आती हैं।
- इसके विपरीत यदि बृहस्पति बलवान होकर राज्य या धन स्थान में हो तो जातक मीठा खाने का शौकीन होता है।
- वहीं शुक्र, मंगल यदि कुंडली के छठे स्थान में स्थित हों तो ऐसे जातक को खट्टी वस्तुएं पसंद आती हैं। इसके विपरीत शुक्र-बुध की युति हो या छठे स्थान पर गुरु-शुक्र की दृष्टि हो तो मीठी वस्तुएं पसंद आती हैं।
- यदि छठे स्थान में सिंह राशि हो तो ऐसे व्यक्ति तामसी भोजन को पसंद करने वाला होता है। तामसी भोजन का तात्पर्य यहां नॉन वेज खाने से है।
- अगर इस स्थान में वृषभ राशि हो तो ऐसे जातक चावल अधिक खाते हैं। बुध पाप ग्रहों से युक्त होने पर मीठी वस्तुएं बिलकुल नहीं भातीं।
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