ऐसी चमत्कारी औषधि, जो करें असाध्य रोगों का इलाज
ऐसी चमत्कारी औषधि (Aise Chamatkari Aushadhi): इस औषधीय चूर्ण के नित्य सेवन से शरीर के कोने-कोने में जमे टॉक्सिन पदार्थ (शरीर में जमे विषैले पदार्थ) मल और मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाएगें। जब शरीर से टॉक्सिन निकल जायेगा तब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा। चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा। यह सब लगभग तीन माह के लगातार सेवन से आप महसूस करने लग जायेंगे।
ऐसी चमत्कारी औषधि (Aise Chamatkari Aushadhi)
औषधि तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री
250 ग्राम मेथीदाना
100 ग्राम अजवाईन
50 ग्राम काली जीरी
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चमत्कारी औषधि तैयार करने की विधि
उपरोक्त तीनो चीजों को अच्छे से साफ-सुथरा करके गरम आंच पर ज़्यादा नहीं बस हल्का-हल्का सेंकना है और फिर इनको अच्छी तरह से मिलाकर कर खल या मिक्सर से इसका पावडर बनाकर कांच की शीशी या बरनी में भरकर रख लेवें।
औषधि को सेवन करने की विधि
रात को सोने से पहले एक चम्मच पावडर, एक पूरा गिलास भर गरम कुन-कुना पानी के साथ ले लेवें और इस औषधि के सेवन के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। यह औषधीय चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।
इस चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा। शरीर निरोगी, जिंदगी आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्ययवर्धक बनेगी। जीवन जीने योग्य बनेगा।
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निम्नलिखित असाध्य रोगों में जबरदस्त फायदेमंद
- पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।
- डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। (चूर्ण का असर दो माह बाद होगा)
- नपुसंकता दूर होगी।
- स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा।
- हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।
- स्मरण शक्ति बढ़ेगी।
- शरीर की सभी खून की नलिकाएं शुद्ध हो जाएगी।
- आँखों की रौशनी बढ़ेगी।
- दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा।
- हड्डियाँ मजबूत होगी।
- गठिया दूर होगा मतलब गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा।
- खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।
- शरीर में खुन का प्रवाह सामान्य हो जायेगा।
- थकान नहीं रहेगी, घोड़े की तरह दौड़ते जाएगें।
- कफ से मुक्ति।
- बालों का विकास होगा।
- कान का बहरापन दूर होगा।
- भूतकाल में लिए गए एलाॅपेथी दवा के साईड इफेक्ट से मुक्त होगें।
ध्यान दें : कुछ लोग कलौंजी को ही काली जीरी समझ रहे है जो कि गलत है काली जीरी अलग होती है जो आपको पंसारी या आयुर्वेद की दुकान पर आसानी से मिल जाएगी जिसके नाम अलग-अलग भाषाओं में इस तरह से है।
हिन्दी – करजीरा, कालीजीरी।
अंग्रेजी – पर्पल फ्लीबेन।
संस्कृत – अरण्यजीरक, बृहस्पाती, कटुजीरक।
मराठी – कडूजीरें, कडूकारेलें।
गुजराती – कालीजीरी, कडबुंजीरू।
बंगाली – बनजीरा।
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