गार्नेट रत्न के लाभ, मानसिक क्लेश में सुखद है गार्नेट
गार्नेट रत्न के लाभ (Garnet Ratna Ke Labh): ऐसी मान्यता है, कि गानेंट रत्न आने वाले स्वरों को भांप कर अपना मूल स्वरूप खो देता है। कभी कष्ट आने पर टूट भी जाता है। जिन्हें माणिक नहीं पहनना हो, वे इसे अजमाकर देख सकते हैं क्योंकि यह माणिक से सस्ता भी है –
गार्नेट रत्न के लाभ (Garnet Ratna Ke Labh)
गार्नेट सूर्य का उपरत्न है, जिसे माणिक की जगह पहना जाता है। इसका भी प्रभाव माणिक जैसा ही होता है सूर्य का उपरत्न गार्नेट बहुत प्रभावशाली भी है। इसे हिन्दी में याकूब और रक्तमणि के नाम से भी जाना जाता है। यह लाल रंग का कठोर रत्न होता है। यह रत्न सस्ता होने के साथ-साथ बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
अगर सूर्य का प्रभाव पाना चाहते हैं, तो इस रत्न को धारण किया जा सकता है। बेहतर प्रभाव के लिए इस रत्न को अनामिका अंगुली में तांबे में बनवाकर शुक्ल पक्ष के रविवार को प्रातः सवा दस बजे पहनना चाहिए। इसके पहनने से सौभाग्य में वृद्धि, स्वास्थ्य में लाभ, मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
यात्रा, आदि में सफलता दिलाता है, मानसिक चिंता दूर होती है। मन में शंका-कुशंका को भी दूर भगाता है तथा रात में डरावने सपने भी नहीं आते। अगर आप हमेशा बीमार रहते हों या शारीरिक कमजोरी हो तो गार्नेट को गले में या अंगूली में धारण करें। इससे फायदा मिलता है।
कहा जाता है कि लाल रंग का गार्नेट बुखार में भी काफी फायदा पहुंचाता है जबकि पीले रंग का गार्नेट पीलिया रोग में लाभ देता है। इसके पहनने से बिजली गिरने का असर नहीं होता और यात्रा में किसी प्रकार की हानि, जोखिम से भी रक्षा करता है।
आवश्यक निर्देष
यदि सूर्य ग्रह की स्थिति अनिष्टकारक हो तो रविवार के दिन विधिवत गुलाबी रंग के धागे में बेलपत्र का निचला मोटा भाग बांधकर गले या दाईं भुजा में धारण करें। यथासंभव, उसमें थोड़ा सुवर्ण भी लगा दें। यदि इसे सोने की तावीज में धारण किया जाए तो अति उत्तम होगा। इस प्रयोग को शुरू करने से लेकर अंत तक सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए। सूर्य की पीड़ा दूर हो जाएगी।
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