ग्रामीण शाबर मंत्र, तो हनुमान जी को लड्डू और पान चढ़ाएं
ग्रामीण शाबर मंत्र (Gramin Shabar Mantra): शाबर मंत्र ग्रामीण मंत्र हुआ कहते हैं, जो अत्यंत उपयोगी और प्रभावशाली कहे गए हैं। क्योंकि ये मंत्र आम बोल-चाल की भाषा में होते हैं, इसलिए संस्कृत मंत्रों के समान इनमें अशुद्धि का भय नहीं रहता। अतः यह सामान्य जनों के लिए भी उपयोगी हैं। प्रस्तुत है, कुछ उपयोगी शाबर मंत्रों का विधान –
ग्रामीण शाबर मंत्र (Gramin Shabar Mantra)
उपयोगी ग्रामीण शाबर मंत्र
1. रतौंधी रोग के लिए
रतौंधी रोग को दूर करने के लिए निम्न मंत्र को संध्या के समय शुद्ध होकर 21 बार निरंतर, उस दिन तक जपना चाहिए, जब तक कि आप स्वस्थ ना हो जाएं।
मंत्र: ॐ भाट भाटिनी निकली कहे, चली जाई उस पार जाइब हम जाऊं समुंद्र। भाटिनी बोली हम बिछाइब हम उपसमाशि पर मुंडा मुंडा अंडा।।
2. नजर दोष से मुक्ति के लिए
नमो सत्य आदेश। गुरु का ओम नमो नजर, जहां पर पीर न जानी। बोले छल सो अमृत-बानी। कहे नजर कहां से आई? यहां की ठोर ताहि कौन बताई? कौन जाति तेरी? कहां ठाम? किसकी बेटी? कहां तेरा नाम? कहां से उड़ी, कहां खो जाई? अब ही बस कर ले, तेरी माया तेरी जाए। सुना चित लाए, जैसी होय सुनाऊं आय। तेलिन -तमोलिन, चूड़ी-चमारी, कायस्थनी, खत-रानी, कुम्हारी, महतरानी, राजा की रानी। जाको दोष, ताही के सिर पड़े। जाहर पीर नजर की रक्षा करे। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। फुरो मंत्र, ईश्वरी वाचा।
उपरोक्त शाबर मंत्र को पढ़ते हुए मोर-पंख से नजर लगे व्यक्ति को सिर से पैर तक झाड़ दें। इससे नजर दोष का असर खत्म हो जाएगा।
या इसके अलावा निम्न मंत्र को भी आजमा सकते हैं
- वन गुरु ईद्यास करू। सात समुद्र सूखे जाती। चाक बांधूं , चाकोली बांधूं, दृष्टि बांधूं। नाम बांधूं तर बाल बिरामनाची आनिङ्गा।
पहले इस मंत्र को सूर्य-ग्रहण या चंद्र-ग्रहण में सिद्ध करें। फिर प्रयोग हेतु उक्त मंत्र के यंत्र को पीपल के पत्ते पर किसी कलम से लिखें। देवदत्त के स्थान पर नजर लगे हुए व्यक्ति का नाम लिखें। यंत्र को हाथ में लेकर उक्त मंत्र का 11 बार जप करें। अगरबत्ती का धुआं करें। यंत्र को काले डोरे से बांधकर रोगी को पहना दें। फिर पीड़ित व्यक्ति को मंगल या शुक्रवार को पूर्वाभिमुख होकर ताबीज को गले में पहना दें।
- ॐ नमो आदेश। तू ज्वा नावे, भूत पले, प्रेत पले, खबीस पले, अरिष्ट पले, सब पले। न पले, तर गुरु की, गोरखनाथ की, बीद याहीं चले। गुरु संगत, मेरी भगत, चले मंत्र, ईश्वरी वाचा।
उक्त मंत्र से 7 बार (राख) को अभिमंत्रित कर उससे रोगी के कपाल पर टीका लगा दें। नजर उतर जाएगी।
3. सर्व कार्य सिद्धिदाता हनुमान मंत्र
यदि आप सच्चे और ईमानदार व्यक्ति हैं और पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं और आपके कार्यों में कठिनाइयां आती हैं और आपका कार्य सिद्ध नहीं होता, ऐसी अवस्था में यह मंत्र लाभकारी हो सकता है।
ॐ विनायक कष्ठा बैठो आय सबके पहली सिमर सूं भूल्या ।।
राय बताय अंजनी पुत्र पवन पुत्र सूद पुत्र, मैं हुंका रू।।
सिद्ध कर ल्यावो, हनुमान। बजरू की काया, जद हुंकारू ।।
जद ही धाया, मैं जागू पारी जात। जातः तू जलम्यो अमावस की रात ।।
लूंग सुपारी जायफल तीनू पूजा लेय। सीध परू बैठ के तीधरा खांडा लेय।।
अटक-अटक लंका-सी कोट समुद्र की खाई, लोह की कील। बजर का ताला आ बैठ हनुमंत।
वज्र रखवाला, आव हनुमंत। वज्र रखवाला, आव हनुमंत। जल्दी आव, हमारा काम सिद्ध करि ल्याव। शब्द सांचा, पिंड कांचा, चलो मंत्र ईश्वरो वाचा।
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यह 41 दिनों के अनुष्ठानों से सिद्ध होने वाला मंत्र है। इस अनुष्ठान के शुभारंभ किसी भी मंगलवार से किया जा सकता है। हनुमान जी से संबंधित सभी नियमों का पालन 41 दिनों की अनुष्ठान अवधि में आवश्यक होता है। प्रतिदिन एक माला का जाप उपरोक्त मंत्र से करना चाहिए।
इसके साधक को चाहिए कि किसी भी मंगलवार के दिन सुबह सवेरे स्नान करके बेसन के सात लड्डूओं और सात बीड़ा पान को लेकर किसी पश्चिम या दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में जाएं और विधि विधान से हनुमान जी को लड्डू और पान अर्पित करें।
तत्पश्चात हनुमान जी से निवेदन करें कि जिस उद्देश्य से हम यह जाप कर रहे हैं, वह उद्देश्य शीघ्र पूरा होवे। 41 दिनों में जब आपका जप पूर्ण हो जाए, तब जपे गए कुल मंत्रों के दशांश सम हवन करें। ऐसा करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
मंत्र सिद्ध हो जाने के पश्चात जब भी आप कोई कार्य शुरू करना चाहे, उस समय इस मंत्र की एक माला जप करें और हनुमान जी महाराज से प्रार्थना करें कि आपका कार्य निर्विघ्न संपन्न हो। यदि आपका कोई कार्य रुका हुआ है, तो उपरोक्त सिद्ध मंत्र का तीन माला जप करें और हनुमान जी से प्रार्थना करें कि वे आपके कार्यों के विघ्न दूर करें। ऐसा करने से प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है।
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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।