ह्यूमन कंट्रासेप्शन एंटीबॉडी | Human Contraception Antibody
ह्यूमन कंट्रासेप्शन एंटीबॉडी (Human Contraception Antibody), एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 15 से 49 साल की उम्र वाली लगभग 65 फीसदी महिलाएं किसी न किसी तरह के गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल करती है। तो आज हम बात करेंगे एक नए गर्भनिरोधक तरीके की जिसे बॉस्टन यूनिवर्सिटी और सैनडिएगो की कम्पनी जैबबायो ने मिलकर तैयार किया है और इस गर्भनिरोधक एंटीबॉडीज का नाम ह्यूमन कंट्रासेप्शन एंटीबॉडी रखा गया है।
ह्यूमन कंट्रासेप्शन एंटीबॉडी (Human Contraception Antibody)
यह गर्भनिरोधक एंटीबॉडीज, स्पर्म को 15 सेकंड के अंदर एक गुच्छों के रूप में उलझाकर कमजोर और निष्क्रिय बना देती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि, अगर कंडोम को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर गर्भनिरोधक उपायों को महिलाओं के लिए ही बनाया गया है। वर्तमान में नेस्टॉरवन का ट्रायल किया जा रहा है। यह पहला हार्मोन कंट्रासेप्टिव है जिसका इस्तेमाल पुरुष कर सकेंगे। इसे दवा नहीं एक जेल में रूप में तैयार किया गया है।
गर्भनिरोधक एंटीबॉडी के इस्तेमाल से जब स्पर्म कमजोर और निष्क्रिय हो जाएंगे तो जन्म दर अपने आप नियंत्रित हो जाएगी।
नोट : अभी इस गर्भनिरोधक एंटीबॉडीज का ट्रायल चल रहा है।
नई गर्भनिरोधक एंटीबॉडी का इंसानो के अलग-अलग क्वालिटी वाले स्पर्म पर ट्रायल भी किया जा चूका है। और रिजल्ट ये रहा कि 15 सेकंड में ही स्पर्म कमजोर और निष्क्रिय पड़ चुके थे।
यौन संचारित रोगों (STD – Sexually Transmitted Diseases) को रोक सकती है
शोधकर्ताओं का कहना है, सेक्स के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलने वाले यौन संचारित रोग, जैसे-एचआईवी वायरस और हरपीज सिम्प्लेक्स वायरस को गर्भनिरोधक एंटीबॉडीज को दूसरी एंटीबॉडीज के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से सेक्स के जरिए इंसानो में फैलने वाली इन बीमारियों को रोका जा सकता है।
वैज्ञानिकों का दावा इससे सूजन का कोई खतरा नहीं
बॉस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देबोरह एंडरसन कहते हैं, इस गंर्भनिरोधक एंटीबॉडी को महिलाओ की डिमांड पर उनकी वेजाइना में डाला जा सकता है। यह एंटीबॉडी महिला के प्राइवेट पार्ट में किसी तरह की सूजन नहीं पैदा करती। जिसका पहले फेज का ट्रायल किया जा रहा है।
इस नए तरीके को वो महिलाएं अपना सकती हैं जो वर्तमान में किसी गर्भनिरोधक निरोधक तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं।
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