जीवन रेखा के प्रकार, जीवन रेखा से जाने अपना स्वभाव
जीवन रेखा के प्रकार (Jeevan rekha ke prakar): यदि हथेली में जीवन रेखा का उद्गम स्थान अलग-अलग है तो, उसका प्रभाव स्वभाव पर भिन्न होता है। क्योंकि हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, किसी भी रेखा का स्वरूप उसके फल को निर्धारित करता है। जीवन रेखा ज्ञान से जुड़ी कुछ ऐसी बातें-
जीवन रेखा के प्रकार (Jeevan rekha ke prakar)
किसी भी रेखा का स्वरूप उसके फल को निर्धारित करता है। जैसे, जीवन रेखा कई जातकों की गुरु क्षेत्र से आरंभ होती है। तो कुछ लोगों में यह गुरु और निम्न मंगल के बीच से शुरू होती है।
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जीवन रेखा ज्ञान (उद्गम स्थान)
गुरु से आरंभ होने वाली जीवन रेखा जातक को सौम्यता प्रदान करती है, स्वभाव में शीतलता और विवेक प्रदान करती है। ऐसे जातक जीवन में बहुत तरक्की करते हैं। आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले और उच्च पद को प्राप्त करने वाले होते हैं।
जबकि गुरु और निम्न मंगल से आरंभ होने वाली जीवन रेखा व्यक्ति को मिश्रित स्वभाव का बनाती है। उसमें गुरु और मंगल की गुण आते हैं। स्वाभाविक रूप से शांत, परंतु लड़ाई झगड़े के समय लड़ाई में सबसे आगे रहते हैं। उग्रता एकदम से उभर आती है।
निम्न मंगल से जीवन रेखा आरम्भ होने पर जातक कुकर्म करके दूसरों का दिल दुखा कर जीवन यापन करता है। यह रेखा अधिकतर अंगूठे के तीसरी पोर के नजदीक से आरंभ होती है।
जीवन रेखा ज्ञान (समापन स्थान)
इसी तरह जीवन रेखा तीन क्षेत्रों पर समाप्त होती है। प्रथम शुक्र के क्षेत्र पर, दूसरा केतु क्षेत्र पर जो कि मणिबंध के नजदीक होता है तथा तीसरा चंद्र क्षेत्र पर।
शुक्र क्षेत्र पर समाप्त होने वाली जीवन रेखा साधारण दायरे में रहने वाले जातक की होती है। इस रेखा का फल तब भिन्न होता है जब रेखा महीन हो या खंडित हो या फिर उसमें काला बिंदु या द्विप आ जाए। जीवन में इसका अशुभ फल प्राप्त होता है।
केतु क्षेत्र पर जाने वाली रेखा जातक को सहयोगी प्रवृत्ति का बनाती है। ऐसे लोग अपने आस-पड़ोस में सहयोगी के रूप में जाने जाते हैं। ये अपने जीवन में सभी सुखों का भोग करते हैं। यदि इस रेखा के पीछे मछ बन जाए तो जीवन के अंत तक जातक किसी पर निर्भर नहीं रहता।
यदि जीवन रेखा चंद्र क्षेत्र पर जाए तो जातक देश प्रदेश में अपनी कला द्वारा जाना जाता है और इसी कार्य से वह ख्याति भी प्राप्त करता है। यह अपने काम से मान प्रतिष्ठा भी पाते हैं परंतु तरक्की थोड़ी देर से मिलती है। इन सबके अलावा इनमें कुछ अवगुण भी होते हैं। जैसे, ये तुनकमिजाजी किस्म के होते हैं।
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इन लोगों की विभिन्न रोगों, अचानक आने वाली समस्याओं, प्रतियोगिता में सफलता तथा राजनीतिक कार्यों में सफलता के लिए, गोमेद पहनना लाभदायक होता है। गुप्त शत्रुओं से सुरक्षा, दुर्घटनाओं से बचाव, शारीरिक शक्ति, पराक्रम तथा संपत्ति में वृद्धि के लिए लहसुनिया धारण करना उत्तम फल प्रदान करता है।
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हस्तरेखा के अनुसार, यदि किसी रेखा पर क्रास का चिन्ह है या वह कहीं पर कटी हुई है या उस पर कहीं टापू बना हुआ है, तो यह सब उस रेखा के विरुद्ध जाते हैं।
उदाहरण के लिए जीवन रेखा पर यदि ऐसा कोई चिन्ह होगा, तो वह घोर बीमारी का सूचक होगा। यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा अपने उद्गम स्थान पर एक साथ नहीं मिलती हैं, तो वह व्यक्ति क्रांतिकारी स्वभाव का होता है। ऐसे लोग ही समाज के बंधनों को तोड़कर कुछ भी कर लेते हैं।
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