ज्योतिष में आयु विचार, प्रश्न कुंडली से जानें अपनी आयु
ज्योतिष में आयु विचार (Jyotish Me Aayu Vichar): ज्योतिष की कई शाखाएं हैं जिनमें से एक है प्रश्न कुंडली। जिन्हें अपना जन्म समय और जन्म तिथि ज्ञात नहीं होती है, उनके लिए यह आधार किसी वरदान से कम नहीं है। … तो जानें, प्रश्न कुंडली से अपनी आयु –
ज्योतिष में आयु विचार (Jyotish Me Aayu Vichar)
प्रश्न कुंडली क्या है?
ज्योतिष – गणित और सिद्धांत पर आधारित विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएं हैं। इसी के अंतर्गत आता है प्रश्न कुंडली। जन्म कुंडली से भविष्य जानने के लिए व्यक्ति को जन्म समय, जन्म तिथि एवं जन्म स्थान की जानकारी होना आवश्यक है, जबकि प्रश्न कुंडली में तात्कालिक समय के आधार पर कुंडली का निर्माण किया जाता है।
इसमें 1 से 249 अंकों के आधार पर लग्न का निर्माण किया जाता है तथा प्रश्न पूछते वक्त जो समय था उसके अनुसार ग्रहों को स्थापित किया जाता है। और फिर उसी को आधार बनाकर फलादेश निकाला जाता है। प्रश्न कुंडली की एक और मुख्य विशेषता है कि इसका निर्माण एकदम सही होता है क्योंकि, प्रश्न के समय का समुचित ज्ञान ज्योतिर्विद को होता है जबकि, जन्म कुंडली का निर्माण एकदम सही समय के आधार पर हुआ है यह कह पाना कदाचित् संभव नहीं है।
प्रमाणिक समय नहीं होने से कुंडली का फलादेश भी प्रभावित होता है अर्थात् फलादेश गलत हो सकता है। प्रश्न कुंडली में इस तरह की चूक की संभावना नहीं रहती है।
प्रश्न कुंडली से जानें अपनी आयु
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जो यह नहीं जानना चाहता हो कि उसकी आयु कितनी होगी। अगर आप अपनी इस उत्सुकता को शांत करना चाहते हैं, तो प्रश्न कुंडली के माध्यम से इसे आसानी से जान सकते हैं। क्योंकि प्रश्न कुंडली में आयु और मृत्यु के संबंध में अष्टम भाव से विचार आता है।
शनि ग्रह द्वारा आयु निर्धारण, शनि ग्रह को आयु का कारक माना जाता है। कुंडली में अष्टम भाव तथा शनि के साथ ही यदि लग्न/लग्नेश भी शुभ होकर बलवान स्थिति में हो तो व्यक्ति की आयु काफी लंबी होती है अर्थात व्यक्ति चिरायु होता है। लंबी आयु के संदर्भ में माना जाता है कि अष्टम भाव में शुभ ग्रह (बुध, बृहस्पति या शुक्र) हो तो व्यक्ति लंबे समय तक धरती का सुख प्राप्त करता है।
उपरोक्त भाव में यदि दो विपरीत विचारधारा वाले ग्रह एक दूसरे के साथ युति कर रहे हों तो ग्रह शुभ-अशुभ मिश्रित होने से व्यक्ति की आयु सामान्य होती है अर्थात मध्यम आयु का स्वामी होता है।
बच्चे की आयु
जब बच्चे की आयु के संबंध में कुंडली से विचार किया जाता है तो चंद्र की स्थिति का भी आकलन किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली का अष्टम भाव आयु स्थान होता है, जो त्रिक भाव कहलाता है। इस भाव में जो भी ग्रह होते हैं, उस ग्रह की हानि होती है और उसका प्रभाव आयु पर भी दिखता है।
इस विषय में यह भी सिद्धांत मान्य है कि इस भाव में शुभ ग्रह के होने से आयु की वृद्धि होती है। मंगल, राहु और केतु जैसे पाप ग्रहों के इस भाव में होने से आयु पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति में व्यक्ति के दुर्घटना, किसी षडयंत्र में फंसने की संभावना रहती है यानी इस तरह की घटनाएं व्यक्ति के लिए मृत्यु का कारण बनती है। अष्टम भाव के पाप पीड़ित होने तथा अष्टमेश के कमजोर स्थिति में होने से आयु का क्षय होता है। यदि लग्न/लग्नेश भी कमजोर स्थिति में हों तो स्थिति में प्रतिकूलता आती है।
मुख्य बिंदु
आयु के संदर्भ में अष्टम भाव या अष्टमेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि आयु संबंधी शुभ फल प्रदान करती है जबकि पाप ग्रह की दृष्टि आयु को कम करती है और मृत्यु की ओर ले जाती है। ग्रहों में शनि ग्रह का बलवान होना आयु की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि शनि ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप जीवन के प्रारंभिक अवस्था अर्थात बाल्यकाल में स्वास्थ्य संबंधी एवं अन्य प्रकार की परेशानियां देता है, परंतु जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है व्यक्ति के सुख में वृद्धि होती जाती है।
प्रश्न कुंडली में अगर शनि कमजोर अथवा अशुभ स्थिति में हो तो परिणाम इसके विपरीत होता है अर्थात व्यक्ति शुरू में सुख प्राप्त करता है लेकिन आयु बढ़ने के साथ ही साथ उसकी तकलीफें बढ़ती जाती हैं। इस तरह कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर व्यक्ति की आयु एवं मृत्यु का आकलन किया जाता है।
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