नीलम रत्न के फायदे और नुकसान, भिखारी को भी राजा बना दे नीलम

नीलम रत्न के फायदे और नुकसान (Neelam Ratna Ke Fayde Aur Nuksan): नीलम यदि अनुकूल पड़े तो धन-धान्य, सुख संपत्ति, मान-सम्मान, यश गौरव, आय वृद्धि, बल तथा वंश की वृद्धि होती है। नीलम के बारे में कहा जाता है कि यदि यह अनुकूल पड़े तो भिखारी को भी रातों रात राजा बना देता है –

नीलम रत्न के फायदे और नुकसान (Neelam Ratna Ke Fayde Aur Nuksan)

नीलम रत्न के फायदे और नुकसान
Neelam Ratna Ke Fayde Aur Nuksan

नीलम रत्न (Sapphire Stone)

यह एक मूल्यवान पारदर्शी पत्थर है, जिसे शनि का रत्न कहा गया है। नीलम रत्न नीला, हल्का नीला, आसमानी या बैंगनी रंग का होता है। लेकिन कुछ स्थानों पर मिलने वाले नीलम गहरे रंग के भी होते हैं। वैसे नीलम के अंदर चीर-फाड़, दाग-धब्बे, धुंधलापन आदि ज्यादा देखने को मिलता है। लेकिन जितना दाग कम पाया जाता है, नीलम उतना महंगा हो जाता है। 

बिना दाग के नीलम की कीमत बहुत अधिक होती है। नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, अतः नीलम पहनने से शनि संबंधित समस्त दोष दूर हो जाते हैं। मकर तथा कुंभ राशि वालों को नीलम पहनना अति शुभकारी होता है। नीलम के बारे में कहा जाता है कि यह अपना प्रभाव शीघ्र दिखाता है। नीलम का प्रभाव शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार का होता है। 

इसलिए नीलम अंगूठी में धारण करने से पहले बाजू में कपड़े से बांध कर दो दिन तक रखना चाहिए। अगर तीन चार दिन आपको रात में अच्छे सपने आएं तो निश्चित ही नीलम आपको अच्छा फल देगा। इसके विपरीत अशुद्ध नीलम से शरीर को कष्ट होता है, गरीबी आती है और बहुत सारे दुश्मन पैदा हो जाते हैं। इसके अलावा नीलम का उपरत्न भी नीलम धारण करने से पहले कुछ समय के लिए धारण करना चाहिए। यदि विपरीत परिस्थितियां बने तो नीलम अशुभ माना जाएगा।

असली नीलम की पहचान

सबसे अच्छे नीलम की पहचान काफी आसान है। स्पर्श करने में यह बिल्कुल मुलायम होता है। इसके साथ ही इसमें से किरणें निकलती दिखाई देती हैं। माना जाता है कि असली नीलम के संपर्क में आते ही तिनका उससे चिपट जाता है। असली नीलम में सीधी धारियां होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बिच्छू के डंक पर नीलम रत्न के असर वाला पानी डालने से जहर का प्रभाव खत्म होता है।

नीलम धारण करने का तरीका

Neelam, शनिवार को पंचधातु, स्टील या चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष में पूजा पाठ के बाद सूर्यास्त के दो घंटे पहले दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए। अच्छे प्रभाव के लिए, नीलम कम से कम पांच रत्ती का होना चाहिए। हां, इसको धारण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसके साथ सिर्फ पन्ना, हीरा और गोमेद रत्न ही धारण कर सकते हैं, कोई अन्य नहीं। 

नीलम रत्न किसे धारण करना चाहिए?

सात अप्रैल से लेकर सात जून, के बीच जिनका जन्म हुआ है उनको नीलम जरूर पहनना चाहिए, क्योंकि उनका शनि जन्म कुंडली में अपनी नीच राशि में होता है। लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि शनि आप के जन्म लग्न के लिए शुभ है या नहीं। इसके साथ ही जिन लोगों की कुंडली में शनि अपनी उच्च राशि तुला का हो। उन्हें भी इस रत्न को पहनने की कोई जरूरत नहीं है। 

नीलम का दोष

सफेद डोरिया, यह नेत्र में चोट और शरीर में पीड़ा देता है।
दूधक, इससे दरिद्रता आती है।
चीरवाला, यह शरीर में शस्लघात और अपघात कराता है। 

उपरत्न

नीलम के चार उपरत्न बताए गए हैं नीली, फरोजा, राजावर्त, और कटेला 

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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

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