पढ़ाई में कमजोर बच्चे का उपाय, सकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण हो अध्ययन कक्ष
पढ़ाई में कमजोर बच्चे का उपाय (Padhai Mein Kamajor Bachche Ka Upay): बच्चों का अध्ययन कक्ष वास्तुसम्मत बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चे तनाव रहित और शांत चित्त होकर अध्ययन कर सकें और उनकी एकाग्रता में बाधा न पड़े। तो जाने अध्ययन कक्ष का वास्तु सिद्धांत …
पढ़ाई में कमजोर बच्चे का उपाय (Padhai Mein Kamajor Bachche Ka Upay)
पढ़ाई में मन लगाने के तरीके
कई होनहार विद्यार्थी मेहनत के बाद भी अपेक्षित फल नहीं प्राप्त कर पाते। इससे वे निराश हो जाते हैं। ऐसे मामलों में कहीं न कहीं नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव देखा जाता है जिससे विद्यार्थियों के सामने कई विकट समस्याएं उत्पन्न हो जाती है, जैसे पढ़ने में रुचि न होना, मन का उलझना, अकारण चिंता, तनाव, असफलता का भय, आत्मग्लानि, मंदबुद्धि, स्मरण शक्ति का अभाव आदि।
किंतु वास्तु निर्मित अध्ययन कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा की बयार बहती रहती है, जिससे विद्यार्थियों को उच्चतम सफलता मिलती है। वास्तु के अनुसार, शैक्षिक सफलता अध्ययन कक्ष की बनावट पर निर्भर होता है। वास्तु ऊर्जा भवन की आत्मा है जिसके सहारे भवन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है। चाहे वह अध्ययन का क्षेत्र हो या कोई अन्य।
वास्तु के अनुसार पढ़ाई का कमरा
- उत्तर-पूर्व या पूर्व में अध्ययन कक्ष शुभ, प्रेरणादायक और पश्चिम में अशुभ होता है।
- अध्ययन कक्ष के दरवाजे उत्तर-पूर्व ही ज्यादा उत्तम माने गए हैं। दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में दरवाजे न रखें। इससे संदेह या भ्रम उत्पन्न होते हैं।
- टेबल चौकोर ही रखें। इससे अध्ययन शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है। दो पाएं छोटे या बड़े, मोटे, टेड़े या तिकोने और कटदार टेबल का प्रयोग न करें।
- टेबल को दरवाजे या दीवार से लगाकर न रखें। दीवार से टेबल का फासला कम से कम 1/4 फीट जरूरी है। जिससे विषय याद रहेगा, रूचि बढ़ेगी। लाइट के नीचे या उसकी छाया में टेबल सेट न करें .इससे अध्ययन प्रभावित होगा।
- टेबल के ऊपर अनावश्यक किताबें न रखें। लैंप को दक्षिणी कोने में रखें।
- उत्तर पूर्व में विद्या की देवी सरस्वती, गणेश जी की प्रतिमा और हरे रंग की चित्राकृतियां लगाएं।
- अध्ययन कक्ष में शांति और सकारात्मक वातावरण होना चाहिए। शोरगुल आदि न हो।
पढ़ना जारी रखें
- स्मरण व निर्णय शक्ति हेतु दक्षिण में टेबल सेट कर उत्तर या पूर्व की ओर मुंह कर अध्ययन करें। उत्तर-पूर्व विद्यार्थी को योग्य बनाने में सहायक होती है।
- ट्यूशन वाले विद्यार्थी का मुंह पूर्व हो। इससे ताल-मेल व पढ़ाई में रुचि बनी रहेगी।
- अध्ययन कक्ष में भारी किताबें, फाइलें सोफा को दक्षिण या पश्चिम में रखें। कंप्यूटर, म्यूजिक सिस्टम को
- दक्षिण-पूर्व में। हां, अध्ययन कक्ष में टेलीविजन कदापि न रखें।
- अध्ययन कक्ष के मध्य भाग को साफ और खाली रखें। जिससे ऊर्जा का संचार होता रहेगा। जिनका मन पढ़ाई में उचटता हो, ऐसे बगुले का चित्र लगाना चाहिए, जो ध्यान की चेष्टा में हो।
- लक्ष्य प्राप्ति हेतु एकलव्य, अर्जुन की चित्राकृतियाँ लगानी चाहिए।
- टेबल को सफेद रंग की चादर से ढकें और पढ़ाई शुरू करने से पहले विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रणाम करें। जिन लोगों को ज्यादा नींद आती हो, उनको अपने कक्ष में स्वान का चित्र लगाना चाहिए।
पढ़ना जारी रखें
- कभी भी दरवाजे के सामने या पीठ करके न बैठें। बीम के नीचे बैठकर भी पढ़ाई नहीं करना चाहिए।
- अध्ययन कक्ष की दीवारों के रंग गहरे नहीं होने चाहिए। हरे, क्रीम, सफेद या हल्के गुलाबी रंग स्मरण शक्ति को बढ़ाते हैं तथा एकाग्रता प्रदान करते हैं।
- इस रूम में के लिए पर्दे भी हल्के हरे रंग के या हल्के पीले रंग के उत्तम माने जाते हैं।
- बेड पर बैठकर अध्ययन नहीं करना चाहिए। कमरे में किताबों या अन्य वस्तुओं को अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए।
- सोते समय विद्यार्थी पूर्व की तरफ सिर करके सोएं। पूर्वी दीवारों पर उगते हुए सूर्य की फोटो लगाना उत्तम है।
- बेड के सामने वाली दीवार पर हरियाली वाली फोटो उत्तम मानी गई है।
- उपरोक्त वास्तु नियमों को अपनाकर आप एक प्रतिभाशाली और प्रखर बुद्धि वाले विद्यार्थी बन सकते हैं।
ध्यान रखें, सिर्फ वास्तु सिद्धांतों के अनुसार रूम की रूपरेखा बदल देना ही काफी नहीं होता। सफलता के लिए कड़ी मेहनत भी जरूरी है, वास्तु तो सिर्फ सकारात्मक माहौल ही देंगे।
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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।