सहदेवी क्या है ? जाने सहदेवी के तांत्रिक व आयुर्वेदिक उपयोग के ज़बरदस्त फायदे
सहदेवी क्या है (Sahadevi Kya Hai): घासफूस की श्रेणी में माना जाने वाला यह सहज सुलभ पौधा तांत्रिक व आयुर्वेदिक गुणों की खान कहलाता है। इस वनौषधि के पौधे भारत में चार हजार फुट की ऊंचाई तक स्वयंजात (अपने आप उत्पन्न होनेवाला) पाये जाते हैं। इसका वानस्पतिक नाम वर्नोनिया साइनेरिया (Vernonia Cinerea) है।
(Sahadevi Kya Hai) सहदेवी क्या है ? सहदेवी के तांत्रिक व आयुर्वेदिक उपयोग के ज़बरदस्त फायदे
सहदेवी क्या है ?
वर्षा ऋतु में ज्वार-मक्का के खेतों में ये बहुतायत से उगे हुये पाए जाते हैं। इसके सन्दर्भ में कहा जाता है कि इसकी जड़ को सिर के नीचे रखकर सोने से निद्रा अच्छी आती है तथा सिर में इसकी जड़ को बांधने से ज्वर का शमन होता है। प्रयोज्याङ्ग : पञ्चाङ्ग। अर्थात सहदेवी का जड़, छाल, पत्ती, फूल एवं फल (मुख्यतः जड़) सब उपयोगी हैं। तो आईये जानते हैं कि यह पौधा आप सभी के जीवन में कैसे और कितना उपयोगी है।
सहदेवी का परिचय (सहदेवी का पौधा की पहचान)
सामान्यत खरपतवार के रूप में यह खाली पड़े मैदानी भागों में तथा सड़कों के किनारों पर पाई जाती है। सहदेवी का काण्ड (तना) पतला, रेखायुक्त, रोमश होता है। इसकी शाखायें श्वेताभ, रोमश होती हैं। पत्र भालाकार या अण्डाकार अनेक आकार के होते है। यह 15-75 सेमी (6 इंच से तीन फुट) ऊँचा, सीधा अथवा प्रसरणशील, श्वेत रोमश, शाकीय पौधा होता है। सहदेवी (Sahdevi) के पुष्प गुलाबी-बैंगनी वर्ण के होते हैं। तथा इसके बीज़ कालीजीरी से मिलते-जुलते परन्तु छोटे-छोटे होते हैं।
आयुर्वेदिक औषधीय गुण और प्रभाव
सहदेवी (Sahdevi) तिक्त, उष्ण, लघु, रूक्ष तथा कफवातशामक होती है। यह शोथहर, वेदनास्थापन, ज्वरघ्न, अनुलोमन, कृमिघ्न, रक्तशोधक, रक्तस्तम्भक, मूत्रल, कुष्ठघ्न, स्वेदजनन तथा अश्मरीनाशक (पथरी) होता है। इसके स्वरस की 10 से 20 मिली की मात्रा और क्वाथ (काढ़ा) की 50 से 100 मिली की मात्रा में सेवन करना चाहिए।
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सहदेवी के फायदे – सहदेवी के आयुर्वेदिक उपयोग
- इसका पौधा स्वेदजनक होता है, इसलिए मलेरिया के बुखार में पौधे का अर्क दिया जाता है।
- मूत्राशय और गले की ऐंठन के लिए एक उपाय के रूप में पौधे के अर्क का उपयोग ज्वर की स्थिति में किया जाता है।
- अनियमित पेशाब के साथ दर्द में शिशुओं को पौधे का रस पिलाया जाता है।
- इसके फूलों का उपयोग आंखों, बुखार और गठिया के लिए किया जाता है।
- जड़ों का उपयोग कृमिनाशक के रूप में किया जाता है।
- पेट दर्द और दस्त में इसकी जड़ का रस दिया जाता है।
- पौधे के बीज कृमिनाशक और विष दंश का भी कार्य करते हैं।
- बीजों का उपयोग खांसी, पेट फूलना, पेचिश, ल्यूकोडर्मा, सोरायसिस और अन्य पुरानी त्वचा की समस्याओं के लिए किया जाता है।
- इसकी पत्तियों के रस को पेस्ट के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इसके पत्तों को दाद के संक्रमण और एक्जिमा में भी लगाया जाता है।
- इसके पत्तों को तिल के तेल में उबालकर हाथीपांव (Elephantiasis) में प्रयोग किया जाता है।
- प्रदर के उपचार में 10 ग्राम पौधे का लेप थोड़े से घी के साथ रोजाना 30 से 40 दिनों तक लेने से लाभ होता है।
- आदिवासी लोग पौधे की पत्तियों को हरी सब्जी के रूप में खाते हैं।
- अतिसार से पीड़ित व्यक्ति अगर सहदेवी के पौधे की जड़ के सात टुकड़े कमर के चारों ओर लाल धागे की सहायता से बांध ले तो, अतिसार ठीक हो जायेगा।
- जो बच्चे कण्ठमाला से पीड़ित हैं, वे सहदेवी की जड़ को अभिमंत्रित करवाके गले में धारण कर लें, तो यह रोग ठीक हो जायेगा।
सहदेवी के नुकसान
शीतप्रकृति वाले लोगों को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
रोकथाम – काली मिर्च, शहद
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सहदेवी के तांत्रिक उपयोग और फायदे
तंत्र शास्त्र के अनुसार सहदेवी का पौधा एक ऐसा चमत्कारी पौधा है, जिसकी मदद से व्यक्ति धनवान बन सकता है। सहदेवी का पौधा एक छोटा कोमल पौधा होता है। पौधा भले ही छोटा और कोमल होता है, लेकिन यह तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में किसी महारथी से कम नहीं है। तंत्र शास्त्र में इसे धन को आकर्षित करने वाले पौधे के रूप में भी जाना जाता है।
सहदेवी के पौधे के उपाय और लाभ
रवि-पुष्य नक्षत्र, पूर्णिमा या अमावस्या जैसे शुभ अवसरों पर अपने घर पर सहदेवी के पौधे ले जाएं। पूर्णिमा के एक दिन पहले सूर्यास्त के समय सहदेवी के पौधे को निमंत्रण देकर आएं कि कल सुबह हम आपको लेने आएंगे। अगले दिन पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले स्वयं स्नान करके पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं और धीरे से जड़ से उखाड़ कर घर ले आएं। घर में पंचामृत से स्नान कराकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करके सिद्ध करें।
1. भूत-प्रेत व ग्रहबाधा हेतु
दाहिने हाथ पर सहदेवी के कोमल मूल को सफ़ेद धागे में बालिका द्वारा बांधने पर ज्वर, भूत-प्रेत और ग्रहबाधा दूर होती है।
2. वास्तुदोष निवारण हेतु
यदि आपके घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष है, जिसके कारण आपका परिवार आगे नहीं बढ़ रहा है, तो घर के पूर्व या उत्तर दिशा में सहदेवी का एक पौधा लगाएं और नियमित धूप और दीपक से उसकी पूजा करें, इससे वास्तुदोष का शमन होता है और घर में समृद्धि व खुशहाली आती है।
3. सुखपूर्वक प्रसव के लिए सहदेवी का उपयोग
काकचंडीश्वरतंत्र में वर्णित है कि सहदेवी चतुर्दशी या कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन, गर्भवती महिला की कमर के चारों ओर धागे में बांधने से सुखद प्रसव हो जाता है।
4. काम करने की अनिच्छा
किसी भी कार्य में यदि किसी व्यक्ति का मन नहीं लगता हो तो सहदेवी की जड़ को पुष्य नक्षत्र में अभिमंत्रित करके पास रखने से उसका मन काम में मन लगने लगता है।
5. धन वृद्धि हेतु
सहदेवी के पौधे की सिद्ध जड़ को लाल रेशमी चमकदार कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखने से धन की कभी कमी नहीं होती और यह लगातार बढ़ता जाता है।
6. अनाज भण्डार
यदि सहदेवी की जड़ रसोई या अनाज भण्डार गृह में शुद्ध स्थान पर रखी जाए तो कभी भी भोजन की कमी नहीं होती है।
7. कोर्ट-कचहरी या किसी अन्य विवाद के समय
अगर कोई कोर्ट-कचहरी या किसी अन्य विवाद में फंस जाता है और फैसला आने वाला है तो सहदेवी की सिद्ध जड़ को दाहिने हाथ में बांध लें या जेब में रख लें, निश्चित ही आपको विजय प्राप्त होगी।
8. सामाजिक सम्मान हेतु
- सहदेवी के पंचांग का चूर्ण बनाकर तिलक करने से तीव्र आकर्षण होता है। किसी सभा में इसका तिलक लगाकर जाने से लोग आपके वश में हो जाएंगे।
- सहदेवी के पौधे के पंचांग का चूर्ण जीभ पर लगाने से वाक सिद्धि होती है, हजारों लोग आपकी बात सुनते रहेंगे।
- इस पौधे की जड़ से बना काजल लगाने से आप जिस किसी के भी सामने जाएंगे वह आपकी ओर आकर्षित होगा।
- सहदेवी के पौधे को छाया में सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर पान में डालकर खिलाने से व्यक्ति विशेष आपके वशीकरण पाश में बंध जाएगा।
9. रोग निवारण हेतु
सहदेवी की जड़ को दाहिने हाथ में बांधने से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
10. शत्रुता निवारण
सहदेवी की जड़ का तिलक लगाने से शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।
सहदेवी और अपामार्ग के रस को लोहे के बर्तन में रखकर अच्छी तरह मिलाकर (घोंटकर) फिर उसका माथे पर तिलक लगाकर दुश्मन के सामने जाने पर शत्रु आपके समक्ष आत्म समर्पित हो जाता है।
नोट : वैद्यकीय और तंत्र विशेषज्ञ के सलाह के अनुसार ही दवा और नुस्खे का प्रयोग करें।
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अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।