संधिकाल क्या है, संध्या पूजन इसका भी है महत्व

संधिकाल क्या है (Sandhi Kaal Kya Hai)? शास्त्रों के मुताबिक संध्या के समय, संध्या वंदन और गायत्री मंत्र जप तथा अग्निहोत्र करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। कारोबार में तरक्की होती है। इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है। संतान संस्कारवान होते हैं। 

संधिकाल क्या है (Sandhi Kaal Kya Hai)

संधिकाल क्या है
Sandhi Kaal Kya Hai

प्रातः पूजा का महत्व तो है ही लेकिन संध्या पूजा उपासना का भी महत्व है। क्योंकि कुछ लोग संधि काल में किसी भी प्रकार का लेन-देन या शुभ कार्य करना अच्छा नहीं मानते, लेकिन इस समय की गई आराधना का फल शुभ होता है। 

यह भी पढ़े – भगवान को लाल गुलाल ही क्यों चढ़ाएं ?

संधिकाल क्या है?

यहां संधिकाल का अर्थ है जब एक काल की समाप्ति होकर दूसरे काल का प्रारंभ हो रहा हो। संधि काल मुख्यतः 7 प्रकार के होते हैं, जिनका महत्व भी अलग-अलग है। 

संध्या काल

जब सूर्यास्त होने वाला हो और चंद्रोदय हो रहा हो। उसे संध्या बेला कहते हैं। इस समय मां लक्ष्मी और तुलसी को घी का दीपक जलाना चाहिए। 

लग्न संधि 

जब एक लग्न या राशि बदल रही हो। इस समय किए गए पूजा का भी विशेष फल प्राप्त होता है। 

ग्रह संधि 

जब एक ग्रह राशि बदलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर रहे हो। 

नक्षत्र संधि

जब एक नक्षत्र समाप्त  और दूसरे नक्षत्र का उदय हो रहा हो। 

माह संधि 

जब माह बदल रहा हो। 

तिथि संधि 

जब तिथि बदल रही हो। 

दिवस संधि 

अर्थात प्रातःकाल जब सूर्योदय हो रहा हो और चंद्र अस्त हो। ऐसे समय में शुक्लपक्ष में सायंकाल चन्द्रमा की किरणों में धूप, दीप, श्वेत पदार्थ और नैवेध रखकर दीपकर जलाएं।   

इससे व्यापार और नौकरी में लाभ संभव है। ऐसे घरों में लक्ष्मी का सदा वास होता है। उनकी कृपा दृष्टि हमेशा घर पर बनी होती है। इससे सुख समृद्धि आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। 

यह भी पढ़े – गौ माता की सेवा, करें गो-सेवा पाएं सुख शांति का मेवा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *