सावन महीने का महत्व क्या है? क्यों प्रिय है शिव को सावन ?
सावन महीने का महत्व क्या है (Sawan Mahine Ka Mahatva Kya Hai), सावन क्या है, सावन क्यों मनाया जाता है? सावन महीना भक्ति और प्रेम का अद्भुत संगम है। एक ओर प्रेम अपनी असीम ऊंचाइयों पर होता है तो भक्ति अपनी असीम गहराइयों में होती है, बड़ा अजीब मिलन है सावन।
( Sawan Mahine Ka Mahatva Kya Hai) सावन महीने का महत्व क्या है ?
सावन क्या है ?
नाम आते ही सावन का, एक बहुत ही मनोरम दृश्य आंखों के सामने आ जाता है। जैसे चारों तरफ हरियाली भीगा भीगा मौसम बारिश की रिमझिम बूंदे। माटी की सोंधी सोंधी खुशबू, तो हम कह सकते हैं कि जो विचलित मन को शांत कर दे वही सावन है।
महीना सावन, भक्ति और प्रेम का अद्भुत संगम है। एक ओर प्रेम अपनी असीम ऊंचाइयों पर होता है तो भक्ति अपनी असीम गहराइयों में होती है, बड़ा अजीब मिलन है सावन। प्रेम और भक्ति अलग-अलग है पर दोनों की कामना एक ही होती है। दोनों को समझना इतना आसान नहीं है, पर जो दोनों में से एक का भी हो गया वह सब कुछ समझ जाता है की प्रेम क्या है, और भक्ति क्या है?
- सावन की रिमझिम बूंदों का प्रभाव भी अलग अलग पड़ता है। जहां भक्तों को शीतलता देती है, तो प्रेमियों को प्रेम अगन में जला देती है।
- सावन या तो प्रेमियों का होता है, या भक्तों का होता है और शेष लोगों के लिए तो यह केवल साल का एक महीना मात्र होता है।
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क्यों प्रिय है शिव को सावन
यह एक मास बहुत ही खास होता है भक्तों के लिए भी और प्रेमियों के लिए भी। प्रेम और भक्ति दोनों कभी एक जगह नहीं होती दोनों अलग-अलग होते हैं, अलग-अलग इंसानों में होती है। परंतु पौराणिक कथाओं में एक ऐसा उदाहरण मिलता है। जिसको हम यह कह सकते हैं कि दोनों का अदभुत मिलन है वह है माता पार्वती का शिव के प्रति भक्ति और प्रेम।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और अपने जमाता भगवान शिव को यज्ञ के लिए आमंत्रित नहीं किया, परंतु माता सती ने बिना आमंत्रण के ही अपने पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में सम्मिलित होने चली गई। जिसके बाद प्रजापति दक्ष ने कहा, भगवान शिव की पूजा करने से क्या होता है? वह अघोरी हैं शरीर पर भस्म मलने वाले का यहां क्या काम, महादेव का भरी सभा में अपमान होता हुआ देख माता सती ने अपने योग शक्ति की अग्नि में अपने आप को आहूत कर दिया।
उसके पश्चात माता सती ने हिमालय राज के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। और माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए प्रेम और भक्ति का वह भाव प्रस्तुत किया जो आज एक उदाहरण बन गया।
सावन महीने का महत्व क्या है?
माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए वर्षों तपस्या की परंतु कोई फल प्राप्त होता न देख कर उन्होंने पूरे सावन मास में, अन्य और जल त्याग कर घन घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिया और उनसे पुनः विवाह किया।
यहां महादेव एक प्रेमी भी हैं, और भक्त के लिए भगवान भी। और यह अद्भुत मिलन संभव हुआ सावन मास में, इसलिए प्रिय है शिव को सावन मास। तभी से भक्ति और प्रेम की मिसाल के रूप में इस मास को बहुत धूमधाम से मनाते हैं भक्त।
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