श्री कृष्ण स्तुति मंत्र, मंत्रों से करें श्रीकृष्ण का आह्वान
श्री कृष्ण स्तुति मंत्र (Shri Krishna Stuti Mantra): श्रीकृष्ण केवल आदिदेव ही नहीं, बल्कि समस्त ब्रह्मांड के पोषक भी है। भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी को हुआ था, इसलिए इस दिन धूमधाम से न सिर्फ उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, बल्कि विभिन्न मंत्रों से उनकी स्तुति की जाती है, ताकि जगत में सुख-शांति की स्थापना हो।
श्री कृष्ण स्तुति मंत्र (Shri Krishna Stuti Mantra)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना में मंत्रों का विशेष महात्म्य माना जाता है। पुराणों एवं वेदों में भी इनके अलग अलग रूपों की पूजा का उल्लेख मिलता है, उपनिषदों और पुराणों में श्रीकृष्ण के अलग-अलग रूपों और नामों की व्याख्या की गई है।
पर इनके हर रूप में सूर्य, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी का समावेश है। इसी कारण देवकी-वसुदेव के यहां अवतार धारण करने वाले भगवान श्रीकृष्ण को इस ब्रह्मांड का रक्षक माना जाता है। इनकी पूजा से भक्त को असीम शांति एवं धैर्य की प्राप्ति होती है।
प्रस्तुत हैं, श्रीकृष्ण स्तुति के लिए प्रभावकारी मंत्र –
कृं कृष्णाय नमः
यह श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है, जिसका जाप करने से प्रत्येक भक्त को सभी बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
ऊं श्री नमः श्रीकृष्णाय
यह सप्तदशाक्षर श्रीकृष्णमहामंत्र है। इस मंत्र का पांच लाख जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। जप के समय हवन का दशांश अभिषेक का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश मार्जन करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। जिस व्यक्ति को यह मंत्र सिद्ध हो जाता है उसे सबकुछ प्राप्त हो जाता है।
गो वल्लभाय स्वाहा
सात अक्षरों वाले इस श्रीकृष्ण मंत्र से संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है। साधक अपनी सिद्धियों को पूरा करने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं।
गोकुल नाथाय नमः
इस आठ अक्षरों वाले श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसकी सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।
क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः
यह दशाक्षर मंत्र श्रीकृष्ण का है। इसका जो भी साधक जाप करता है, उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
नमो भगवते श्री गोविंदाय
इस कृष्ण द्वादशाक्षर मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे इष्ट सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है। यह मंत्र संपूर्ण मनोरथ को सिद्ध करने वाला है।
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ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय ।
श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ॥
यह बाईस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है, उसे वागीशत्व की प्राप्ति होती है।
श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय । गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री
यह तेईस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है, उसकी सभी बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं और कार्य में आ रही बाधा दूर होती है।
नमो भगवते नंदपुत्राय ।
आनंदवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ॥
यह अट्ठाइस अक्षरों वाला श्रीकृष्णमंत्र है। जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है, उसे समस्त अभिष्ट वस्तुएं प्राप्त होती हैं।
लीलादंड गोपीजन संसक्तदोर्दण्ड। बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा।।
यह उन्तीस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण महामंत्र है। इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक विधिवत एक लाख जप और घी, शक्कर तथा शहद में तिल व अक्षत को मिलाकर होम करते हैं, उन्हें स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
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नंद पुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे । कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।।
यह बत्तीस अक्षरों वाला श्रीकृष्णमंत्र है। इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक एक लाख बार जाप करता है तथा पायस, दुग्ध व शकर से निर्मित खीर द्वारा दशांश हवन करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥
यह तैंतीस अक्षरों वाला श्रीकृष्णमंत्र है। इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे समस्त प्रकार की विद्याएं निःसंदेह प्राप्त होती हैं।
इस तरह श्रीकृष्ण मंत्र समस्त प्राणियों के दुखों को दूर करने वाला माना जाता है।
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