जानिये, किन मामलों में सुलह के बाद भी केस जारी रहते हैं ?
किन मामलों में सुलह के बाद भी केस जारी रहते हैं ? भारतीय कानून के मुताबिक कुछ मामलों में सुलह के बाद भी सजा दी जा सकती है वरना मामला जारी रहता है। शायद हम में से बहुत से लोग इन मामलों के बारे में नहीं जानते होंगे।
Sulah Ke Baad Bhi Case Jari – किन मामलों में सुलह के बाद भी केस जारी रहते हैं ?
वैसे तो भारतीय कानून, दुनिया का एक बहुत बड़ा लिखित कानून है, लेकिन यह उतना ही लचीला है जितना कि बड़ा लिखित कानून है। कई लोग इसका फायदा भी उठाते हैं। कुछ ऐसे मामले होते हैं जिनमें आरोपी और पीड़ित दोनों बिना अदालत के समझौता कर सकते हैं। लेकिन कुछ मामलों में इस सेटलमेंट के लिए कोर्ट की सहमति जरूरी होती है।
विधि विशेषज्ञ के अनुसार अपराध दो प्रकार के होते हैं, एक समझौता वादी और दूसरा गैर समझौता वादी। अर्थ यह है कि समझौता वादी अपराध आमतौर पर हल्के होते हैं तथा गैर समझौता वादी अपराध गंभीर प्रकार के अपराध होते हैं।
CrPC की धारा 320 के तहत इन अपराधों को बताया गया है कि जो अपराध समझौता वादी होते हैं, उसमें 3 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। लेकिन कुछ अन्य मामले भी हैं जैसे कि मामूली हमला, जबरन रास्ता अवरुद्ध करना या मानहानि का मामला अगर ये मामले अदालत में पहुंचते हैं।
तो समझौता होने के बाद, अदालत को लिखित में सूचित करना होगा कि इस मामले में समझौता हो गया है, फिर अदालत उस मामले को समाप्त कर देती है। इनमें से कुछ ऐसे अपराध हैं जिनमें निपटान के लिए न्यायालय की अनुमति लेना आवश्यक है।
किन मामलों में समझौता होने के बाद भी मामला जारी रहता है
कुछ ऐसे गैर समझौता वादी मामले हैं जिनमें पीड़ित और अपराधी के बीच समझौता होने के बाद भी अदालत में मामला चलता रहता है।
बलात्कार का मामला
सामान्य मामले में भी बिना कोर्ट के कोई समझौता नहीं होगा।
यदि किसी व्यक्ति ने किसी महिला के साथ बलात्कार किया है और बाद में पीड़िता और अपराधी के बीच समझौता हो जाता है, यानी दोनों की शादी हो भी जाती है, तो यह मामला अदालत द्वारा रद्द नहीं किया जाता है।
इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था, जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया था, आखिर इस मामले को खारिज नहीं किया जा सकता।
आतंकवादियों का समर्थन करना
किन मामलों में
1966 में संसद भवन से गौ रक्षकों पर गोलियां चलाई गईं।
अगर कोई व्यक्ति आतंकवादी है या आतंकवादियों का साथ देता है, और फिर बाद में वह सरकारी गवाह बन गया है या वह अपनी बेगुनाही कैसे भी साबित कर देता है। ऐसे किसी भी मामले में कोर्ट कभी भी केस खत्म नहीं करता है।
हत्या का मामला
क्या हर धर्म में जातिवाद है या यह हिंदू धर्म की परंपरा है?
अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है और फिर पीड़ित परिवार के साथ समझौता हो जाता है, लेकिन इस समझौते के बाद भी मामला कोर्ट से खत्म नहीं होता है।
गैर समझौता वादी के केशों में हत्या, डकैती और बलात्कार जैसे मामलों को अपवाद माना गया है। CrPC की धारा 482 में आपराधिक मामले को रद्द करने की शक्ति है।
लेकिन हत्या, बलात्कार और डकैती में दोनों पक्षों के समझौता होने के बाद भी मामला रद्द नहीं होता है क्योंकि ये ऐसे मामले हैं जो किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि समाज के खिलाफ हैं और इससे सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
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