वास्तु दोष के उपाय, पहली मंजिल पर सोए गृह स्वामी
वास्तु दोष के उपाय (Vastu dosh ke upay): वास्तु दोष के कारण घर की सुख-शांति भंग हो इससे अच्छा, घर बनवाते समय ही वास्तु नियमों का पूरा ख्याल रखा जाए। मसलन, घर की पहली मंजिल, सीढ़ियां और उद्यान की सही दिशा क्या हो ? इन बातों का ध्यान रख आप अपने घर में खुशहाली ला सकते हैं –
वास्तु दोष के उपाय (Vastu dosh ke upay)
वास्तु दोष निवारण के आसान उपाय
पैसा खर्च करके आलीशान भवन बन सकता है। लेकिन अगर घर में कोई वास्तु दोष हो तो संभव है आपके घर भी सुख शांति भंग भी हो जाए। इसलिए घर बनाते समय, वास्तु के अनुरूप सभी बातों का ख्याल रखें। मसलन पहली मंजिल, सीढ़ियां और उद्यान हर चीज पर गौर करें।
- घर के प्रथम मंजिल की छत की ऊंचाई भू-तल की छत की ऊंचाई से अधिक नहीं होना चाहिए। इससे वास्तु दोष होता है। इसके अलावा प्रथम मंजिल में दक्षिण पश्चिम कोने की तरफ बालकोनी कभी नहीं बनवानी चाहिए। इसके अतिरिक्त इसका आकार गोल और अनियमित भी नहीं होनी चाहिए।
- प्रथम मंजिल पर वर्षा का जल उत्तर, पूर्व अथवा उत्तर-पूर्व की ओर नहीं निकलना चाहिए। केवल प्रथम मंजिल के मामले में यह दक्षिण, पश्चिम में बनानी चाहिए। उत्तर और पूर्व में केवल छत छोड़नी चाहिए। बहुमंजिली इमारतों में यह नियम लागू नहीं होता। बालकनी उत्तर-पूर्व में बनवाएं।
- प्रथम मंजिल के फर्श का ढाल उत्तर और पूर्व की ओर होना चाहिए। साथ ही दरवाजे और खिड़कियां पूर्व और पश्चिम में होने चाहिए। उत्तर पश्चिम की ओर एक बड़ी खिड़की अच्छी होती है।
- सबसे अहम और ध्यान देने वाली बात, अगर आप बहुमंजिली मकान के स्वामी है, तो इस स्थिति में प्रथम मंजिल पर गृह स्वामी का शयन अथवा अध्ययन कक्ष होना चाहिए। यह वास्तु सम्मत माना गया है। इससे घर में शांति रहती है और धन की वृद्धि होती है।
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कैसी हो सीढ़ियां? / वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की सीढ़ियां
- घर में सीढ़ियां दक्षिण, पश्चिम अथवा दक्षिण-पश्चिम में होनी चाहिए। उत्तर-पूर्व की ओर कभी भी सीढ़ियां नहीं बनवानी चाहिए।
- सीढ़ियों के नीचे तिजोरी कभी नहीं होनी चाहिए। सीढ़ियों की पहली सीढ़ी गोल नहीं बनवानी चाहिए। सीढ़ियां कभी भी पूजा घर, भंडार कक्ष अथवा रसोई घर से नो तो आरंभ होना चाहिए और न समाप्त में। खुले स्थान की कमी के कारण सीढ़ियां दक्षिण-पूर्व अथवा उत्तर-पश्चिम में बनाई जा सकती हैं। हालांकि ये बच्चों के स्वास्थ्य को थोड़ा प्रभावित करती हैं। इस दोष को दूर करने के लिए वास्तु यंत्र का प्रयोग करें। संभव हो तो गोलाकार सीढ़ियां बनवाएं।
- सबसे ऊपरी सीढ़ी से जुड़ी छत छत का ढाल पूर्व अथवा उत्तर की ओर होना चाहिए। वह कमरा, जहां दक्षिण-पश्चिम मुख वाली सीढ़ियां समाप्त हो, किसी के अधिकार में नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो वह बीमार हो जाएगा।
- ऊपरी मंजिल या तहखाने में जाने के लिए एक ही सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। यदि सीढ़ियां उत्तर-पूर्व में होंगी तो वहां वित्तीय और व्यवसायिक हानि होती है। परिवार का मुखिया कर्ज में डूब जाता है।
- सीढ़ियां घर के मध्य में कभी नहीं होनी चाहिए। साथ ही सीढ़ियां की संख्या यानी स्टेप्स विषम होनी चाहिए। जैसे 11, 13 या 15 क्योंकि सम संख्या को वास्तु सम्मत नहीं माना गया है।
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उद्यान बनाने से पहले
- हम बात करते हैं होम गार्डन यानि उद्यान की। आमतौर पर कुछ बिना सोचे समझे ही घर के आस-पास पेड़ पौधे लगा लेते हैं। जो प्रायः सही नहीं होता। जिस तरह घर को बनाने बनाते हैं, उसी तरफ उद्यान को बनाते समय भी ध्यान देना चाहिए। यह आपकी आवास में संतुलन और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।
- उद्यान अशुभ और शुभ ऊर्जाओं के बीच में एक संतुलन बनाए रखता है। लकड़ी,कंक्रीट, ईंट, स्टील और अन्य ठोस सामग्री जो भवन में लगी होती हैं नकारात्मक होती है।
- जबकि पृथ्वी, फूल, पौधे और तालाब आदि सकारात्मक होते हैं। दिशा के साथ-साथ घर के पास लगाए जाने वाले फूल पौधों के बारे में विचार करना चाहिए। उद्यान में लगे पौधे सदाबहार होने चाहिए। जिससे यहां निरंतर रक्षक ऊर्जा प्रवाहित होती रहे।
- पौधे स्वस्थ और हरे-भरे होने चाहिए। जल प्रवाहित करते फव्वारे अच्छी सकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। क्योंकि जल का प्रवाह ऊर्जा को आकर्षित करता है। छोटे-बड़े तालाब सकारात्मक ऊर्जा के अच्छे स्रोत माने जाते हैं। बशर्ते कि उसमें सभी स्वस्थ मछलियां पाली गई हो। स्वर्ण और रजत मछलियां सोने और चांदी के सिक्कों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो सम्पन्नता के प्रतीक हैं।
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- यदि आप के भवन में उद्यान है तो इसे आपके भवन की ओर से घुमावदार होना चाहिए। जिससे जल आपके भवन का आलिंगन करता प्रतीत हो। इस स्थिति में जल के घर की सुरक्षा करेगा।
- हां बगीचे में एक ही तरह के पेड़ पौधे नहीं लगाए। मिले-जुले पौधे लगाए, सुंदरता बढ़ाने के साथ सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। यह संतुलन बनाए रखने का अच्छा तरीका है। आपकी उद्यान से मार्ग थोड़ा घुमावदार हो जिससे ऊर्जा का प्राकृतिक संवाह सुचारू गति से होता रहे।
- मार्ग कभी भी तीखे, मुड़े हुए नहीं होने चाहिए। ये बगीचों में सर्पों की भांति घातक होते हैं। इससे एक्सीडेंट की संभावना बनी रहती है। इस तरह आप अपने घर को वास्तु के अनुरूप बनवा कर सुख चैन की नींद ले सकते हैं।
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