वास्तु के अनुसार किचन की दिशा, जाने किचन के लिए कौन-सी दिशा है शुभ?
वास्तु के अनुसार किचन की दिशा (Vastu Ke Anusar Kitchen Ki Disha): घर में रसोईघर उत्तर दिशा में है तो इससे घर में धन की हानि तथा मानसिक परेशानियां रहती हैं। इसलिए वास्तु के अनुसार किचन को दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम में बनवाना ही बेहतर होगा –
वास्तु के अनुसार किचन की दिशा (Vastu Ke Anusar Kitchen Ki Disha)
घर में रसोई का स्थान महत्वपूर्ण होता है। इसकी सही दिशा पूरे घर की स्थिरता प्रदान करती है। इसके विपरीत किचन अगर गलत दिशा में हो तो घर में रहने वाले लोग परेशान रहते हैं। चूंकि फ्लैट कल्चर का जमाना है, ऐसे मे मनचाहा रसोई घर मकान में बना पाना मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए रसोई घर में यथासंभव इन बातों का ध्यान रखें –
किचन की दिशा वास्तु के अनुसार
- ईशान कोण, पूर्व ईशान कोण, उत्तरी ईशान कोण इन तीनों स्थान पर किचन होना उत्तम नहीं है। ईशान कोण का स्थान देवस्थान कहलाता है। देवस्थान में अग्नि का होना किसी भी दृष्टि से शुभ नहीं होता है। किसी कारणवश किचन यहां बन गया हो तो घर में अशांति, आपस में मनमुटाव, अर्थव्यवस्था में अस्थिरता हो सकती है। समाधान स्वरूप रसोई का स्थान परिवर्तित कर लें।
- पूर्व दिशा को विजय द्वार कहा गया है। यहां पर रसोई घर न बनाएं। इसके प्रभाव ईशान कोण के ही तरह होते हैं।
- अग्नि कोण, पूर्वी अग्नि कोण, दक्षिणी अग्निकोण ये स्थान भोजनशाला के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यहां रसोईघर होने से घर में नाना प्रकार की स्वादिष्ट खाद्य सामग्री बनती रहती है। भोजनशाला के खर्चे सिमित सीमा में रहते हैं। परिवारिक सदस्यों के उन्नति में भी यह सहायक है।
- दक्षिण दिशा में रसोईघर का होना मध्यस्थ माना गया है। इसके प्रभाव अच्छे एवं बुरे दोनों देखने को मिलते है। प्राचीन विद्वानों ने अपने अलग-अलग मतों से रसोई बनाने का निषेध किया है। कुछ विद्वानों ने दक्षिण और अग्नि का आपसी सम्बन्ध पूर्व दिशा से जुड़ाव के कारण इस स्थान में बनाया जा सकता है।
- नैऋर्त्य कोण को अस्त्र-शस्त्र रखने का स्थान माना गया है। ये स्थान पाकशाला के लिए अनुचित है। यहां पाकशाला होने से घर में संपत्ति की हानि, आपसी संबंधों में कटुता की संभावना ज्यादा होती है।
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- पश्चिम दिशा में रसोईघर होना, कई मतों में उचित बताया गया है। कई शास्त्रों में इसका वर्णन मिलता है। यहां रसोईघर होने से स्त्रियों के लिए अच्छा रहता है।
- वायव्य कोण, अग्निकोण के विपरीत दिशा होने से काफी विद्वानों ने इसको अग्नि के बाद दूसरा स्थान दिया गया है। इस कोण में किचन होने से घर के खर्चे बढ़ जाते हैं। अकस्मात खर्चे आते हैं। महिलाओं को स्त्री जनित रोग होने की संभावनाएं रहती हैं। इसलिए बचाव के तौर पर मातृशक्ति स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
- उत्तर दिशा को कुबेर का द्वार कहा गया है। यह दिशा धन, लक्ष्मी, वैभव देने के लिए है। इस दिशा में रसोईघर कदापि न बनाएं। अगर इस दिशा को आप रहने के लिए इस्तेमाल कर रहे है तो इस दिशा के कमरे वगैरह को साफ-सुथरे रखें। स्वच्छ जगह में लक्ष्मी का आगमन होता है। अगर रसोई यहां बना हुआ हो तो स्थान परिवर्तन करें।
- ब्रह्मस्थान में जाने-अनजाने में अगर रसोईघर बन गया है, तो स्थान परिवर्तन करें, इससे घर में परेशानी आती है।
- रसोई घर में पानी और गैस एक ही लाइन में नहीं रखना चाहिए। पानी और गैस की इस स्थिति के कारण परिवार के सदस्यों के विचारों में मतभेद पैदा होता है। इसलिए पानी और गैस के बीच संगमरमर का कम से कम 25 इंच ऊंचा पार्टीशन अवश्य दे दें।
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