वास्तु शास्त्र के अनुसार जमीन, भूखंडों पर वास्तु का क्या है प्रभाव?
वास्तु शास्त्र के अनुसार जमीन (Vastu Shastra Ke Anusar Jameen): लोगों का ऐसा विश्वास है कि पूर्वाभिमुख और उत्तरमुखी भूखंड शुभ होते हैं। जबकि दक्षिणमुखी तथा पश्चिममुखी भूखंड नापसंद किए जाते हैं। यह बात सही नहीं है। क्योंकि कोई भी दिशा स्वयं में अच्छी है न बुरी। इन्हें अगर ठीक से डिजाइन किया जाए तो ये भूखंड अच्छा फल प्रदान करते हैं। लेकिन कैसे ?
वास्तु शास्त्र के अनुसार जमीन (Vastu Shastra Ke Anusar Jameen)
उत्तर अथवा पुर्वाभिमुखी भूखंडों को भी यदि वास्तु के विरुद्ध बनाया जाए तो ये भी विपरीत प्रभाव वाले होते हैं। इसलिए घर बनाते समय वास्तु सिद्धांतों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्माण
- उत्तरमुखी भूखंड के वास्तुदोष को दूर करने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में रखें। परंतु ड्राइंग रूम को यथासंभव वायव्य कोण में ही बनवाना चाहिए।
- दक्षिणमुखी भूखंड होने पर आग्नेय कोण में मुख्य प्रवेश द्वार बनाकर भवन का प्रवेश द्वार पूर्व में निर्मित कराएं। रसोईघर को आग्नेय कोण में बनवाएं। इसमें मुख्य शयन कक्ष नैऋत्य कोण में तथा ड्राइंग रूम पूर्व में बनवाना उचित होता है। दक्षिण या पश्चिम में शौचालय और स्नानघर आदि बनवा सकते हैं। यदि किसी दूसरे भवन का नुकीला किनारा मुख्य प्रवेश द्वार को चीरता हुआ प्रतीत हो तो यह भी वेध है। अगर वेध और मुख्य प्रवेश द्वार में भवन की दूरी से दुगुना अंतर हो तो वेध नष्ट हो जाता है।
- अगर भूखंड पूर्वमुखी हो तो भवन का मुख्य प्रवेश द्वार ईशान कोण में अथवा मुख्य लकड़ी का दरवाजा पूर्व या ईशान कोण के पूर्व में बनवाएं। मुख्य प्रवेश द्वार के दाई ओर आग्नेय कोण में रसोईघर और बाई ओर ड्राइंग रूम बना सकते हैं।
पढ़ना जारी रखें
- अगर भूखंड पश्चिम मुखी हो तो आगे का बरामदा या खुला स्थान पीछे की तुलना में कम रखें। यदि रसोई घर को भवन के अगले भाग अर्थात पश्चिम में बनवाना हो तो इसे उत्तर या पश्चिम में बनवाएं।
- पश्चिममुखी भूखंड में ड्राइंगरूम को नैऋत्य कोण में नहीं बनवाना चाहिए। इस कोण में घर के बुजुर्ग व्यक्ति का कक्ष रखें। अगर आप फ्लैट में रहते हैं तो वहां पर भी कुछ बातों का ध्यान रखें। अगर आपका फ्लैट किसी ऊपरी तल पर है तो आप उसकी बालकनी को आकर्षक रूप में सजाकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। यदि शयनकक्ष या लिविंग रूम के पास बालकनी हो तो यह ध्यान दें कि वहां से आपको आसपास क्या दिखाई देता है।
- अगर वह दृश्य आपको पसंद हो तो बहुत अच्छा है अन्यथा मनपसंद दृश्य देखने की व्यवस्था आप स्वयं कर सकते हैं। इसके अलावा आप बालकनी को सजाने के लिए ग्रिल या चिक का प्रयोग कर सकते हैं अथवा सुंदर बेल या सुगंधित फूलों के गमले रख सकते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा के लिए वहां पर पवनघंटी भी लगा सकते हैं। बालकनी में खिड़की लगाकर वहां बैठकर आप अपने कार्य भी कर सकते हैं।
- इस प्रकार वास्तु सिद्धांतों को अपनाकर आप भी अपने भूखंड को शुभ और वास्तु सम्मत बना सकते हैं।
यह भी पढ़े – वास्तु शास्त्र का मूल क्या है? जाने दिशाएं ही है वास्तु का आधार
अस्वीकरण – लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। Mandnam.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले, कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।