वास्तु शास्त्र में वेध दोष, संभव नहीं तरक्की अगर घर में हो द्वार वेध

वास्तु शास्त्र में वेध दोष (Vastu Shastra Mein Vedh Dosh): मुख्य प्रवेश द्वार के सामने हवा और प्रकाश के मार्ग में किसी भी प्रकार की बाधा हो, उसे वास्तु शास्त्र में द्वार वेध माना जाता है। यदि ये अवरोध मकान की ऊंचाई से दुगनी दूरी पर स्थित हों तो यह द्वार वेध का कारण नहीं बनता। हां, इसकी दूरी अगर घर से 45 फुट होगी तो इसे द्वार वेध माना जाएगा, और इसका असर घर पर अवश्य ही होता है। वैसे यह वेध कई प्रकार के होते हैं, जिनका प्रभाव भी अलग-अगल होते हैं। आइए, इन सारे वेधों के बारे में विस्तार से जानें –

वास्तु शास्त्र में वेध दोष (Vastu Shastra Mein Vedh Dosh)

वास्तु शास्त्र में वेध दोष
Vastu Shastra Mein Vedh Dosh

संभव नहीं तरक्की अगर घर में हो द्वार वेध

वास्तु के अनुसार, अगर भवन में द्वारवेध हो तो परिवार में हमेशा कलह की स्थिति बनी रहती है। आमदनी होने के बावजूद घर में धन की कमी रहती है –

स्वरवेध

द्वार बंद करते समय अथवा खोलते समय चरमराहट की जो आवाज होती है उसे स्वरवेध कहते हैं। वास्तुशास्त्र में इसे शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा होने पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ता है। दरवाजों में तेल डालकर इस अशुभ ध्वनि को समाप्त किया जा सकता है।

कूपवेध

मुख्य द्वार के सामने सेप्टिक-टैंक, भूमिगत जल की टंकी, बेधन-कूप, भूमिगत नालियां आदि नहीं होने चाहिए। इससे धन-हानि होती है यानी आर्थिक समृद्धि नहीं के बराबर होती है।

ब्रह्मवेध

यदि मुख्य द्वार के सामने तेल पिराई की मशीन, चक्की अथवा धार लगाने वाली मशीन हो तो इसे ब्रह्मवेध कहा जाता है। इससे जीवन में अस्थिरता आती है और परिवार के सदस्यों के बीच तनाव रहता है। ब्रह्मवेध को दूर करने के लिए आप फेंगशुई के विभिन्न उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।

कीलवेध

मुख्य प्रवेश द्वार के सामने पशु, जैसे, बकरी, गाय, भैंस या कुत्ता आदि बांधने का खूंटा गड़ा हो, तो इसे कीलवेध कहते हैं। इससे उन्नति में अवरोध उत्पन्न होता है। इसलिए मकान के ठीक सामने यानी मुख्य द्वार के सामने जानवरों को बांधने के लिए खूंटे नहीं होने चाहिए।

स्तंभवेध

मुख्य द्वार के सामने यदि बिजली, टेलीफोन, केबल आदि का खंबा स्थित हो, तो इससे भी घर में परेशानी आ सकती है। वास्तुशास्त्र में इस बाधा को स्तंभवेध कहा गया है। यह दोष परिजन अथवा व्यावसायिक भागीदारों के बीच मतभेद कराता है। साथ ही उनमें झगड़े भी करवाता है। घर के आपसी मतभेद और तनाव से सुख-शांति में कमी आती है। 

वास्तुवेध 

प्रवेश द्वार के ठीक सामने भंडार कक्ष, गैराज, आउट हाउस, चौकीदार आदि के लिए कक्ष नहीं होने चाहिए। इससे वास्तुवेध का दोष लगता है। इसके कारण संपति की हानि भी होती है। 

इन्हें भी जानें

  • घर का मुख्य द्वार मकान की लंबाई अथवा चौड़ाई के बीचों बीच नहीं होना चाहिए। यह बच्चों के लिए हानिकारक होता है।
  • मुख्य प्रवेश द्वार के सामने ईंट, पत्थरों, कीचड़ आदि का ढेर भी नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र में इसे शुभ नहीं माना गया है। क्योंकि इस तरह के दोष से घर का विकास नहीं होता।
  • कम्पाउंड के गेट की ऊंचाई कम्पाउंड की दीवार से लगे कॉलम, जिस पर गेट लगा है, से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिए। यह परिवार के मुखिया की उन्नति में बाधक बनती है।
  • मुख्य प्रवेश द्वार के सामने अन्य बनावट या उसके कोने अभिमुख नहीं होने चाहिए।
  • दो घरों का एक समान प्रवेश द्वार भी नहीं होना चाहिए। इससे क्रोध की स्थिति उत्पन्न होती है। अतः घर बनवाते समय इन बातों का खास ख्याल रखें।
  • मुख्य प्रवेश द्वार के सामने नल टपकने या अन्य कारण से पानी का जमाव नहीं होना चाहिए। यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता।

इस तरह आप भी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर वास्तुसंबंधी दोष को दूर कर सकते हैं।

यह भी पढ़े – बिना तोड़फोड़ वास्तु उपाय, क्या है तोड़फोड़ रहित वास्तु समाधान

अस्वीकरण – इस लेख में दी गई जानकारियों पर Mandnam.com यह दावा नहीं करता कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले, कृपया संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *